|
|
(2 intermediate revisions by the same user not shown) |
Line 1: |
Line 1: |
| <p id="1"> (1) महावीर-निर्वाण के बासठ वर्ष पश्चात् हुए पाँच आचार्यों में प्रथम आचार्य ये श्रुतकेवली थे । महापुराण 2.140-141 । हरिवंशपुराण 1.61</p>
| |
| <p id="2">(2) कृष्ण का एक नाम । महापुराण 72.181, हरिवंशपुराण 47. 17 पांडवपुराण 2.95</p>
| |
| <p id="3">(3) कृष्ण के कुल का रक्षक एक नृप । हरिवंशपुराण 50.130</p>
| |
| <p id="4">(4) जम्बूद्वीप के भरतक्षेत्र में स्थित सिंहपुर नगर का राजा । यह इक्ष्वाकुवंश में उत्पन्न हुआ था । नन्दा इसकी रानी और तीर्थङ्कर श्रेयांसनाथ इसके पुत्र थे । महापुराण 57. 17-18, 33, पद्मपुराण 20. 47</p>
| |
| <p id="5">(5) भरतेश द्वारा स्तुत वृषभदेव का एक नाम । महापुराण 24.35 </p>
| |
| <p id="6">(6) हस्तिनापुर के राजा महापद्म (नवें चक्रवर्ती) का दूसरा पुत्र । यह अपने पिता के साथ दीक्षित हुआ । तप के प्रभाव से इसे विक्रियाऋद्धि प्राप्त हुई । (लोक में यही मुनि विष्णुकुमार के नाम से प्रसिद्ध हुआ) । इसके भाई पद्म के मंत्री बलि के द्वारा अकम्पनाचार्य आदि सात सौ मुनियों पर उपसर्ग किये जाने पर इसने दो पद में विक्रियाऋद्धि से समस्त पृथिवी नाप कर उपसर्ग दूर किया था । तप द्वारा वह घातियाकर्मों का क्षय करके केवली हुआ और देह त्याग करके मुक्ति प्राप्त की । महापुराण 70.282-300, पद्मपुराण 20.179-183, हरिवंशपुराण 20.15-63, 45. 24, पांडवपुराण 7.57-72 देखें [[ अकम्पनाचार्य ]], पुष्पदन्त और बलि</p>
| |
|
| |
|
| |
|
| <noinclude>
| | #REDIRECT [[विष्णु]] |
| [[ विषय | पूर्व पृष्ठ ]] | |
| | |
| [[ विष्णुश्री | अगला पृष्ठ ]]
| |
| | |
| </noinclude>
| |
| [[Category: पुराण-कोष]]
| |
| [[Category: व]]
| |