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| <p id="1"> (1) जम्बूद्वीप के भरतक्षेत्र सम्बन्धी पुष्कलावती देश की वीतशोका नगरी के राजा अशोक और रानी श्रीमती की पुत्री । यह जिनदत्ता आर्यिका के पास दीक्षा लेकर और रत्नावली-तप करते हुए देह त्याग करके माहेन्द्र स्वर्ग के इन्द्र की देवी हुई । महापुराण 71. 393-396, हरिवंशपुराण 60. 68-70</p>
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| <p id="2">(2) मेरु की पश्चिमोत्तर (वायव्य) दिशा की प्रथम वापी । हरिवंशपुराण 5.344</p>
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| <p id="3">(3) मथुरा नगरी के सेठ भानु की पुत्रवधु और शूर की पत्नी । यह अन्त में दीक्षित हो गयी थी । हरिवंशपुराण 33.96-99, 127</p>
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| <p id="4">(4) अरिष्टपुर नगर के राजा हिरण्यनाभ की रानी । कृष्ण की पटरानी पद्मावती इसी की पुत्री थी । हरिवंशपुराण 44.37-43</p>
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| <p id="5">(5) हस्तिनापुर के कौरववंशी राजा शूरसेन की रानी । यह तीर्थंकर कुन्थुनाथ की जननी थी । महापुराण 64.12-13, 22, पांडवपुराण 6. 5-7, 28-30</p>
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| <p id="6">(6) विदेहक्षेत्र के गन्धिल देश में स्थित पाटली ग्राम के नागदत्त वैश्य की पुत्री । इसके नन्द, नन्दिमित्र, नन्दिषेण, वरसेन और जयसेन ये पाँच भाई तथा मदनकान्ता नाम की एक बहिन थी । महापुराण 6. 126-130</p>
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| <p id="7">(7) जम्बूद्वीप के पूर्व विदेहक्षेत्र में स्थित पुष्कलावती देश की पुण्डरीकिणी नगरी के राजा वज्रसेन की रानी । वज्रनाभि की यह जननी थी । महापुराण 11. 8-9</p>
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| <p id="8">(8) पूर्व मेरु के पश्चिम विदेहक्षेत्र में सुगन्धि देश के श्रीपुर नगर के राजा श्रीषेण की रानी । श्रीवर्मा की यह जननी थी । महापुराण 54. 9-10, 36, 39, 67-68</p>
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| <p id="9">(9) कौशाम्बी नगरी के राजा महाबल और रानी श्रीमती की पुत्री । इसका विवाह इन्द्रसेन से हुआ था । अनन्तमति इसकी दासी और उपेन्द्रसेन देवर था । महापुराण 62.351 देखें [[ इन्द्रसेन ]]</p>
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| <p id="10">(10) धातकीखण्ड द्वीप के पूर्व भरतक्षेत्र सम्बन्धी विजयार्ध पर्वत की दक्षिणश्रेणी में स्थित नन्दपुर नगर के राजा हरिषेण की रानी । हरिवाहन की यह जननी थी । महापुराण 71.252-254</p>
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| <p id="11">(11) साकेत नगर के राजा श्रीषेण की रानी । हरियाणा और श्रीषेणा इसकी पुत्रियाँ थी । महापुराण 72.253-254</p>
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| <p id="12">(12) सुग्रीव की पाँचवीं पुत्री । राम के भाई भरत की यह भाभी थी । पद्मपुराण 47.138, 83. 96</p>
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| <p id="13">(13) रावण की रानी । पद्मपुराण 77.13</p>
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