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| <p id="1"> (1) तीर्थंकर वृषभदेव और उनकी दूसरी रानी सुनन्दा की पुत्री । ये बाहुबली की बहिन थी । वृषभदेव ने इसे अन्य भाई-बहिनों के साथ चित्र, अक्षर, संगीत, गणित आदि कलाओं में पारगत किया था । इसने अपने पिता तीर्थंकर ऋषभदेव से दीक्षा ले ली थी । यह आर्यिकाओं में अग्रणी रही । महापुराण 16. 7-8, 24.177, हरिवंशपुराण 9.18, 22.24, 12.42, पांडवपुराण 2.155</p>
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| <p id="2">(2) चक्रपुर नगर के राजा अपराजित की रानी, चक्रायुध की जननी । महापुराण 59.239, हरिवंशपुराण 27.89-90</p>
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| <p id="3">(3) भरतक्षेत्र के चित्रकारपुरनगर के राजा प्रीतिभद्र की रानी । प्रीतिकर की ये जननी थी । महापुराण 59.254-255, हरिवंशपुराण 27.97 </p>
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| <p id="4">(4) मथुरा के राजा शूरसेन के सूरदेव पुत्र की स्त्री । यह विरक्त होकर दीक्षित हो गयो था । हरिवंशपुराण 33.96-99, 127, 60.51</p>
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| <p id="5">(5) विजयार्ध पर्वत की अलका नगरी के राजा महासेन को रानी । इस के उग्रसेन और वरसेन दो पुत्र तथा वसुन्धरा पुत्री । महापुराण 76.262-263, 265</p>
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| <p id="6">(6) भीलों के राजा हरिविक्रम की स्त्री । इसका वनराज पुत्र था । महापुराण 75.479-480</p>
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| <p id="7">(7) जम्बूद्वीप संबंधी भरतक्षेत्र में वत्स देश की कौशाम्बी नगरी के राजा पार्थिव की रानी और सिद्धार्थ की जननी । महापुराण 6.92-4 </p>
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| <p id="8">(8) गन्धर्वपुर के राजा विद्याधर मन्दरमाली की रानी । चिन्तागति और मनोगति इसके दो पुत्र थे । महापुराण 8.92-93</p>
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| <p id="1">(1) जम्बूद्वीप के पूर्व विदेहक्षेत्र में पुष्कलावती देश की पुण्डरीकिणी नगरी के राजा प्रियसेन की रानी । इसके दो पुत्र थे― प्रीतिंकर और प्रीतिदेव । महापुराण 9.108-109</p>
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| <p id="10">(10) पुष्करद्वीप के पूर्व विदेहक्षेत्र में मंगलावती देश के रत्नसचय नगर के राजा महीधर की रानी । जयसेन इसका पुत्र था । महापुराण 10.114-116</p>
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| <p id="11">(11) रावण की एक रानी । महापुराण 77.12</p>
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| <p id="12">(12) भरत की भाभी । पद्मपुराण 83.13</p>
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