समयसार - आत्मख्याति टीका - कलश 74: Difference between revisions
From जैनकोष
('<div class="SanskritChhandNaam">( उपजाति )</div> <div class="SanskritGatha"><div>एकस्य कर्ता न त...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
(No difference)
|
Latest revision as of 15:07, 10 December 2013
( उपजाति )
एकस्य कर्ता न तथा परस्य चिति द्वयोर्द्वाविति पक्षपातौ ।
यस्तत्त्ववेदी च्युतपक्षपातस्तस्यास्ति नित्यं खलु चिच्चिदेव ॥७४॥