पंचास्तिकाय संग्रह-सूत्र - गाथा 131 - अर्थ: Difference between revisions
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Latest revision as of 13:08, 19 August 2021
क्योंकि कर्म का फल विषय नियम से स्पर्शनादि इन्द्रियों द्वारा सुख-दु:ख रूप में जीव भोगता है, इसलिए कर्म मूर्त है ।