पंचास्तिकाय संग्रह-सूत्र - गाथा 141 - अर्थ: Difference between revisions
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Latest revision as of 13:08, 19 August 2021
वास्तव में जब जिस विरत के योग में पुण्य-पाप नहीं हैं, तब उनके शुभाशुभ कृत कर्म का संवर होता है ।