पंचास्तिकाय संग्रह-सूत्र - गाथा 17 - समय-व्याख्या - हिंदी: Difference between revisions
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Latest revision as of 13:08, 19 August 2021
'भाव का नाश नहीं होता और अभाव का उत्पाद नहीं होता' उसका यह उदाहरण है ।
प्रति-समय होने वाली अगुरुलघु-गुण की हानि-वृद्धि से उत्पन्न होने वाली स्वभाव-पर्यायों की सन्तति का विच्छेद न करनेवाली एक सोपाधिक मनुषत्व-रूप पर्याय से जीव विनाश को प्राप्त होता है और तथाविध (स्वभाव-पर्यायों के प्रवाह को न तोड़ने वाली सोपाधिक) देवत्व-रूप, नारकत्व-रूप, या तिर्यंचत्व-रूप अन्य पर्याय से उत्पन्न होता है । वहाँ ऐसा नहीं है की मनुष्यत्व से विनष्ट होने पर जीवत्व से भी नष्ट होता है और देवत्व से आदि से उत्पाद होने पर जीवत्व भी उत्पन्न होता है, किन्तु सत् के उच्छेद और असत् के उत्पाद बिना ही तदनुसार विवर्तन (परिणमन, परिवर्तन) करता है ॥१७॥