पंचास्तिकाय संग्रह-सूत्र - गाथा 61 - अर्थ: Difference between revisions
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Latest revision as of 13:08, 19 August 2021
कर्म अपने स्वभाव से सम्यक् रूप में स्वयं को करता है; उसी प्रकार जीव भी कर्मस्वभाव (रागादि) भाव से सम्यक् रूप में स्वयं को करता है।