पंचास्तिकाय संग्रह-सूत्र - गाथा 134: Difference between revisions
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<p>अरहंतसिद्धसाहुसु भत्ती धम्मम्मि जा य खलु चेट्ठा । (134)</p> | <p>अरहंतसिद्धसाहुसु भत्ती धम्मम्मि जा य खलु चेट्ठा । (134)</p> | ||
<p>अणुगमणं पि गुरूणं पसत्थरागो त्ति वुच्चंति ॥144॥</p> | <p>अणुगमणं पि गुरूणं पसत्थरागो त्ति वुच्चंति ॥144॥</p> | ||
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Latest revision as of 10:55, 21 August 2021
अरहंतसिद्धसाहुसु भत्ती धम्मम्मि जा य खलु चेट्ठा । (134)
अणुगमणं पि गुरूणं पसत्थरागो त्ति वुच्चंति ॥144॥