पंचास्तिकाय संग्रह-सूत्र - गाथा 33: Difference between revisions
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<p>अज्झवसाणविसिट्ठो चिट्ठदि मलिणो रजमलेहिं ॥34॥</p> | <p>अज्झवसाणविसिट्ठो चिट्ठदि मलिणो रजमलेहिं ॥34॥</p> | ||
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Latest revision as of 10:55, 21 August 2021
सव्वत्थ अत्थि जीवो ण य एक्को एक्कगो य एक्कट्ठो । (33)
अज्झवसाणविसिट्ठो चिट्ठदि मलिणो रजमलेहिं ॥34॥