प्रमेयत्व गुण: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
mNo edit summary |
||
(2 intermediate revisions by one other user not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
<p> आलापपद्धति/6 <span class="SanskritText">प्रमेयस्य भावः प्रमेयत्वम् । प्रमाणेन स्वपरस्वरूप परिच्छेद्यं प्रमेयम् ।</span> = <span class="HindiText">प्रमेय के भाव को प्रमेयत्व कहते हैं । प्रमाण के द्वारा जो जानने योग्य स्वपर स्वरूप वह प्रमेय है । </span></p> | <p><span class="GRef"> आलापपद्धति/6 </span><span class="SanskritText">प्रमेयस्य भावः प्रमेयत्वम् । प्रमाणेन स्वपरस्वरूप परिच्छेद्यं प्रमेयम् ।</span> = <span class="HindiText">प्रमेय के भाव को प्रमेयत्व कहते हैं । प्रमाण के द्वारा जो जानने योग्य स्वपर स्वरूप वह प्रमेय है । </span></p> | ||
<noinclude> | <noinclude> | ||
Line 8: | Line 8: | ||
</noinclude> | </noinclude> | ||
[[Category: प]] | [[Category: प]] | ||
[[Category: द्रव्यानुयोग]] |
Latest revision as of 14:30, 21 August 2022
आलापपद्धति/6 प्रमेयस्य भावः प्रमेयत्वम् । प्रमाणेन स्वपरस्वरूप परिच्छेद्यं प्रमेयम् । = प्रमेय के भाव को प्रमेयत्व कहते हैं । प्रमाण के द्वारा जो जानने योग्य स्वपर स्वरूप वह प्रमेय है ।