प्रवरवाद: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
mNo edit summary |
||
(One intermediate revision by one other user not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
<p> धवला 13/5,5,50/287/8 <span class="SanskritText">स्वर्गापवर्गमार्गत्वाद्रत्नत्रयं प्रवरः । स उद्यते निरूप्यते अनेनेति प्रवरवादः । </span>=<span class="HindiText"> स्वर्ग और अपवर्ग का मार्ग होने से रत्नत्रय का नाम प्रवर है उसका वाद अर्थात् कथन इसके द्वारा किया जाता है, इसलिए इस आगम का नाम प्रवरवाद है ।</span></p> | <p><span class="GRef"> धवला 13/5,5,50/287/8 </span><span class="SanskritText">स्वर्गापवर्गमार्गत्वाद्रत्नत्रयं प्रवरः । स उद्यते निरूप्यते अनेनेति प्रवरवादः । </span>=<span class="HindiText"> स्वर्ग और अपवर्ग का मार्ग होने से रत्नत्रय का नाम प्रवर है उसका वाद अर्थात् कथन इसके द्वारा किया जाता है, इसलिए इस आगम का नाम प्रवरवाद है ।</span></p> | ||
<noinclude> | <noinclude> | ||
Line 8: | Line 8: | ||
</noinclude> | </noinclude> | ||
[[Category: प]] | [[Category: प]] | ||
[[Category: द्रव्यानुयोग]] |
Latest revision as of 11:57, 24 August 2022
धवला 13/5,5,50/287/8 स्वर्गापवर्गमार्गत्वाद्रत्नत्रयं प्रवरः । स उद्यते निरूप्यते अनेनेति प्रवरवादः । = स्वर्ग और अपवर्ग का मार्ग होने से रत्नत्रय का नाम प्रवर है उसका वाद अर्थात् कथन इसके द्वारा किया जाता है, इसलिए इस आगम का नाम प्रवरवाद है ।