बंधन बद्धत्व: Difference between revisions
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<p> | <p><span class="GRef"> राजवार्तिक/2/7/13/112/27 </span><span class="SanskritText">अनादिसंततिबंधन-बद्धत्वमपि साधारणम् । कस्मात् सर्वद्रव्याणांस्वात्मीयसंतानबंधनबद्धत्वं प्रत्यनादित्वात् । सर्वाणि हि द्रव्याणि जीवधर्माधर्माकाशपुद्गलाख्यानि प्रतिनियतानि पारिणामिकचैतन्योपयोगगतिस्थित्यवकाशदान-वर्तनामपरिणाम-वर्ण-गंध-रस-स्पर्शादिपर्यायसंतानबंधनबद्धानि । कर्मोदयाद्यपेक्षाभावात्तदपि पारिणामिकम् । यदस्यानादिकर्मसंततिबंधनबद्धत्वं तदसाधारणमपि सन्न पारिणामिकम्; कर्मोदयनिमित्तत्वात् ।</span> = <span class="HindiText">अनादि-बंधन बद्धत्व भी साधारण गुण है । सभी द्रव्य अपने अनादिकालीन स्वभाव संतति से बद्ध हैं, सभी के अपने-अपने स्वभाव अनादि अनंत हैं । अर्थात् जीव, धर्म, अधर्म, आकाश, काल और पुद्गल नाम के द्रव्य क्रमशः पारिणामिक चैतन्य उपयोग, गतिदान, स्थितिदान, अवकाशदान, वर्तनापरिणाम, औरवर्ण-गंध-रस और स्पर्शादि पर्याय संतान के बंधन से बद्ध है । इस भाव में कर्मोदय आदि की अपेक्षा न होने से पारिणामिक है और जो यह अनादिकालीन कर्मबंधन बद्धता जीव में पायी जाती है, वह पारिणामिक नहीं है, किंतु कर्मोदय निमित्तक है ।</span></p> | ||
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Latest revision as of 17:36, 28 August 2022
राजवार्तिक/2/7/13/112/27 अनादिसंततिबंधन-बद्धत्वमपि साधारणम् । कस्मात् सर्वद्रव्याणांस्वात्मीयसंतानबंधनबद्धत्वं प्रत्यनादित्वात् । सर्वाणि हि द्रव्याणि जीवधर्माधर्माकाशपुद्गलाख्यानि प्रतिनियतानि पारिणामिकचैतन्योपयोगगतिस्थित्यवकाशदान-वर्तनामपरिणाम-वर्ण-गंध-रस-स्पर्शादिपर्यायसंतानबंधनबद्धानि । कर्मोदयाद्यपेक्षाभावात्तदपि पारिणामिकम् । यदस्यानादिकर्मसंततिबंधनबद्धत्वं तदसाधारणमपि सन्न पारिणामिकम्; कर्मोदयनिमित्तत्वात् । = अनादि-बंधन बद्धत्व भी साधारण गुण है । सभी द्रव्य अपने अनादिकालीन स्वभाव संतति से बद्ध हैं, सभी के अपने-अपने स्वभाव अनादि अनंत हैं । अर्थात् जीव, धर्म, अधर्म, आकाश, काल और पुद्गल नाम के द्रव्य क्रमशः पारिणामिक चैतन्य उपयोग, गतिदान, स्थितिदान, अवकाशदान, वर्तनापरिणाम, औरवर्ण-गंध-रस और स्पर्शादि पर्याय संतान के बंधन से बद्ध है । इस भाव में कर्मोदय आदि की अपेक्षा न होने से पारिणामिक है और जो यह अनादिकालीन कर्मबंधन बद्धता जीव में पायी जाती है, वह पारिणामिक नहीं है, किंतु कर्मोदय निमित्तक है ।