द्वैत: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
Bhumi Doshi (talk | contribs) No edit summary |
||
(2 intermediate revisions by one other user not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
<p>(पं.वि./4/33) <span class="SanskritText"> | <p>(पं.वि./4/33) <span class="SanskritText">बंधमोक्षौ रतिद्वेषौ कर्मात्मानौ शुभाशुभौ। इति द्वैताश्रिता बुद्धिरसिद्धिरभिधीयते।</span> =<span class="HindiText">बंध और मोक्ष, राग और द्वेष, कर्म और आत्मा, तथा शुभ और अशुभ, इस प्रकार की बुद्धि द्वैत के आश्रय से होती है। </span></p> | ||
<ul> | <ul> | ||
<li class="HindiText"><strong> द्वैत व अद्वैतवाद का विधि निषेध व समन्वय―देखें [[ द्रव्य#4 | द्रव्य - 4]]।</strong> | <li class="HindiText"><strong> द्वैत व अद्वैतवाद का विधि निषेध व समन्वय―देखें [[ द्रव्य#4 | द्रव्य - 4]]।</strong> | ||
Line 13: | Line 13: | ||
</noinclude> | </noinclude> | ||
[[Category: द]] | [[Category: द]] | ||
[[Category: द्रव्यानुयोग]] |
Latest revision as of 14:44, 13 September 2022
(पं.वि./4/33) बंधमोक्षौ रतिद्वेषौ कर्मात्मानौ शुभाशुभौ। इति द्वैताश्रिता बुद्धिरसिद्धिरभिधीयते। =बंध और मोक्ष, राग और द्वेष, कर्म और आत्मा, तथा शुभ और अशुभ, इस प्रकार की बुद्धि द्वैत के आश्रय से होती है।
- द्वैत व अद्वैतवाद का विधि निषेध व समन्वय―देखें द्रव्य - 4।