कवलाहार: Difference between revisions
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<span class="HindiText"> क्षुधा को शांत करने के लिए कवल प्रमाण ग्रासों के द्वारा किया जाने वाला आहार कवलाहार कहलाता है। मोहनीय कर्म का क्षय हो जाने पर कवलाहार की आवश्यकता नहीं पड़ती । <span class="GRef"> महापुराण 25.39 </span> | |||
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<li> कवलाहार निर्देश–देखें [[ आहार#I.1 | आहार - I.1]]। </li> | |||
<li>केवली को कवलाहार का निषेध–देखें [[ केवली#4 | केवली - 4]]। </li> | |||
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Latest revision as of 16:48, 19 September 2022
पुराणकोष से
क्षुधा को शांत करने के लिए कवल प्रमाण ग्रासों के द्वारा किया जाने वाला आहार कवलाहार कहलाता है। मोहनीय कर्म का क्षय हो जाने पर कवलाहार की आवश्यकता नहीं पड़ती । महापुराण 25.39
सिद्धांतकोष से
- कवलाहार निर्देश–देखें आहार - I.1।
- केवली को कवलाहार का निषेध–देखें केवली - 4।