वैधर्म्य: Difference between revisions
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<li> | <li> <span class="GRef"> सप्तभंगीतरंगिणी/53/3 </span>–<span class="SanskritText">वैधर्म्यं च साध्याभावाधिकरणावृत्तित्वेन निश्चितत्वम्।</span> = <span class="HindiText">साध्य के अभाव के अधिकरण में जिसका अवृत्तित्व अर्थात् न रहना निश्चित हो उसको वैधर्म्य कहते हैं। दृष्टांत के दो भेदों में से एक हैं, वैधर्म्य| </span></li> | ||
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Latest revision as of 15:08, 26 September 2022
- सप्तभंगीतरंगिणी/53/3 –वैधर्म्यं च साध्याभावाधिकरणावृत्तित्वेन निश्चितत्वम्। = साध्य के अभाव के अधिकरण में जिसका अवृत्तित्व अर्थात् न रहना निश्चित हो उसको वैधर्म्य कहते हैं। दृष्टांत के दो भेदों में से एक हैं, वैधर्म्य|
- उदाहरण का एक भेद–देखें दृष्टांत#1.3 ।