उपग्रह: Difference between revisions
From जैनकोष
No edit summary |
No edit summary |
||
(7 intermediate revisions by 3 users not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
< | <span class="GRef">राजवार्तिक अध्याय 5/17/3/460/25</span><p class="SanskritText"> द्रव्याणां शक्त्यंतराविर्भावे कारणभावोऽनुग्रह उपग्रह इत्याख्यायते।</p> | ||
<p class=" | <p class="HindiText">= द्रव्य की शक्ति का आविर्भाव करने में कारण होना रूप अनुग्रह कहा जाता है।</p> | ||
उपग्रह व्यभिचार - < | <p class="HindiText">उपग्रह व्यभिचार - देखें [[ नय#III.6.7 | नय - III.6.7]], [[ नय#III.6.8 | नय - III.6.8]]।</p> | ||
[[Category:उ]] | |||
[[Category: | |||
<noinclude> | |||
[[ उपगूहन | पूर्व पृष्ठ ]] | |||
[[ उपघात | अगला पृष्ठ ]] | |||
</noinclude> | |||
[[Category: उ]] | |||
[[Category: द्रव्यानुयोग]] |
Latest revision as of 16:49, 12 October 2022
राजवार्तिक अध्याय 5/17/3/460/25
द्रव्याणां शक्त्यंतराविर्भावे कारणभावोऽनुग्रह उपग्रह इत्याख्यायते।
= द्रव्य की शक्ति का आविर्भाव करने में कारण होना रूप अनुग्रह कहा जाता है।
उपग्रह व्यभिचार - देखें नय - III.6.7, नय - III.6.8।