लघु विधि: Difference between revisions
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एक उपवास एक पारण क्रम से 120 उपवास पूरे कर। जाप्य–नमस्कार मंत्र का त्रिकाल जाप्य (व्रत विधान सं./62) (वर्द्धमान पुराण)। <span class="GRef"> हरिवंशपुराण/34/119 </span>जघन्य व उत्कृष्ट आयु की अपेक्षा सर्वत्र बेला होता है। तहाँ–समस्त नरकों के 7; पर्याप्त-अपर्याप्त के 2; पर्याप्त-अपर्याप्त मनुष्य के 2; सौधर्म-ईशान स्वर्ग का 1; सनत्कुमार से अच्युत पर्यंत के 11; नव ग्रैवेयक के 9; नव अनुदिश का 1; पाँच अनुत्तरों का एक। इस प्रकार 34 बेले। बीच के 34 स्थानों में एक एक पारणा। | |||
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Latest revision as of 19:50, 12 October 2022
एक उपवास एक पारण क्रम से 120 उपवास पूरे कर। जाप्य–नमस्कार मंत्र का त्रिकाल जाप्य (व्रत विधान सं./62) (वर्द्धमान पुराण)। हरिवंशपुराण/34/119 जघन्य व उत्कृष्ट आयु की अपेक्षा सर्वत्र बेला होता है। तहाँ–समस्त नरकों के 7; पर्याप्त-अपर्याप्त के 2; पर्याप्त-अपर्याप्त मनुष्य के 2; सौधर्म-ईशान स्वर्ग का 1; सनत्कुमार से अच्युत पर्यंत के 11; नव ग्रैवेयक के 9; नव अनुदिश का 1; पाँच अनुत्तरों का एक। इस प्रकार 34 बेले। बीच के 34 स्थानों में एक एक पारणा।