अर्थावग्रह: Difference between revisions
From जैनकोष
No edit summary |
J2jinendra (talk | contribs) No edit summary |
||
(7 intermediate revisions by one other user not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
<p मतिज्ञान द्वारा क्रमशः अवग्रह, ईहा, अवाय और धारणा पूर्वक किसी भी पदार्थ का ज्ञान किया जाता है। अवग्रह के दो भेद होते हैं - अर्थावग्रह और व्यंजनावग्रह। | <p class="HindiText"> मतिज्ञान द्वारा क्रमशः अवग्रह, ईहा, अवाय और धारणा पूर्वक किसी भी पदार्थ का ज्ञान किया जाता है। अवग्रह के दो भेद होते हैं - अर्थावग्रह और व्यंजनावग्रह।<p/> | ||
< | <span class="GRef">सर्वार्थसिद्धि अध्याय 1/18/117/6</span> <p class="SanskritText">व्यक्तग्रहणात् प्राग्व्यंजनाग्रहः व्यक्तग्रहणमर्थावग्रहः।</p> | ||
<p class="HindiText">= व्यक्त ग्रहण से पहिले पहिले व्यंजनावग्रह होता है और व्यक्त ग्रहण का नाम '''अर्थावग्रह''' है।</p> | <p class="HindiText">= व्यक्त ग्रहण से पहिले पहिले व्यंजनावग्रह होता है और व्यक्त ग्रहण का नाम '''अर्थावग्रह''' है।</p> | ||
<p class="HindiText"> अन्य परिभाषाओं और अधिक जानकारी के लिए देखें [[ अवग्रह#3 | अवग्रह-2.4]]</p> | <p class="HindiText"> अन्य परिभाषाओं और अधिक जानकारी के लिए देखें [[ अवग्रह#3 | अवग्रह-2.4]]</p> | ||
Line 15: | Line 15: | ||
[[Category: अ]] | [[Category: अ]] | ||
[[Category: द्रव्यानुयोग]] | [[Category: द्रव्यानुयोग]] | ||
Latest revision as of 13:05, 27 December 2022
मतिज्ञान द्वारा क्रमशः अवग्रह, ईहा, अवाय और धारणा पूर्वक किसी भी पदार्थ का ज्ञान किया जाता है। अवग्रह के दो भेद होते हैं - अर्थावग्रह और व्यंजनावग्रह।
सर्वार्थसिद्धि अध्याय 1/18/117/6
व्यक्तग्रहणात् प्राग्व्यंजनाग्रहः व्यक्तग्रहणमर्थावग्रहः।
= व्यक्त ग्रहण से पहिले पहिले व्यंजनावग्रह होता है और व्यक्त ग्रहण का नाम अर्थावग्रह है।
अन्य परिभाषाओं और अधिक जानकारी के लिए देखें अवग्रह-2.4