सम्यग्ज्ञान: Difference between revisions
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<span class="GRef"> सर्वार्थसिद्धि/1/1/5/6 </span><span class="SanskritText">येन येन प्रकारेण जीवादय: पदार्थां व्यवस्थितास्तेन तेनावगम: सम्यग्ज्ञानम् ।</span>=<span class="HindiText">जिस जिस प्रकार से जीवादि पदार्थ अवस्थित हैं उस उस प्रकार से उनका जानना '''सम्यग्ज्ञान''' है। <span class="GRef">( राजवार्तिक/1/1/2/4/6 )</span>। <span class="GRef">( परमात्मप्रकाश/ मूल/2/29)</span> <span class="GRef">( धवला 1/1,1,120/364/5 )</span>।</span><br /> | |||
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<span class="GRef"> समयसार / आत्मख्याति/155 </span><span class="SanskritText">जीवादिज्ञानस्वभावेन ज्ञानस्य भवनं ज्ञानम् ।</span> <span class="HindiText">जीवादि पदार्थों के ज्ञानस्वभावरूप ज्ञान का परिणमन कर '''सम्यग्ज्ञान''' है।<br /> | |||
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<div class="HindiText"> <p> सम्यग्दर्शन से अज्ञान अंधकार के नष्ट हो जाने पर उत्पन्न संशय, विपर्यय और अनध्यवसाय से रहित जीव आदि पदार्थों का विवेचनात्मक ज्ञान । <span class="GRef"> महापुराण 24.118-120, 47.305-307, 74.541, </span><span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 18.14-15 </span></p> | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> सम्यग्दर्शन से अज्ञान अंधकार के नष्ट हो जाने पर उत्पन्न संशय, विपर्यय और अनध्यवसाय से रहित जीव आदि पदार्थों का विवेचनात्मक ज्ञान । <span class="GRef"> महापुराण 24.118-120, 47.305-307, 74.541, </span><span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 18.14-15 </span></p> | ||
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Latest revision as of 15:25, 27 November 2023
सिद्धांतकोष से
पंचास्तिकाय/107 तेसिमधिगमो णाणं।...।107। उन नौ पदार्थों का या सात तत्त्वों का अधिगम सम्यग्ज्ञान है। ( मोक्षपाहुड़/38 )।
सर्वार्थसिद्धि/1/1/5/6 येन येन प्रकारेण जीवादय: पदार्थां व्यवस्थितास्तेन तेनावगम: सम्यग्ज्ञानम् ।=जिस जिस प्रकार से जीवादि पदार्थ अवस्थित हैं उस उस प्रकार से उनका जानना सम्यग्ज्ञान है। ( राजवार्तिक/1/1/2/4/6 )। ( परमात्मप्रकाश/ मूल/2/29) ( धवला 1/1,1,120/364/5 )।
राजवार्तिक/1/1/2/4/3 नयप्रमाणविकल्पपूर्वको जीवाद्यर्थयाथात्म्यावगम: सम्यग्ज्ञानम् ।=नय व प्रमाण के विकल्प पूर्वक जीवादि पदार्थों का यथार्थ ज्ञान सम्यग्ज्ञान है। ( नयचक्र बृहद्/326 )।
समयसार / आत्मख्याति/155 जीवादिज्ञानस्वभावेन ज्ञानस्य भवनं ज्ञानम् । जीवादि पदार्थों के ज्ञानस्वभावरूप ज्ञान का परिणमन कर सम्यग्ज्ञान है।
देखें ज्ञान - III।
पुराणकोष से
सम्यग्दर्शन से अज्ञान अंधकार के नष्ट हो जाने पर उत्पन्न संशय, विपर्यय और अनध्यवसाय से रहित जीव आदि पदार्थों का विवेचनात्मक ज्ञान । महापुराण 24.118-120, 47.305-307, 74.541, वीरवर्द्धमान चरित्र 18.14-15