सूक्ष्म स्कंध: Difference between revisions
From जैनकोष
Komaljain7 (talk | contribs) No edit summary |
J2jinendra (talk | contribs) No edit summary |
||
Line 1: | Line 1: | ||
देखें [[ स्कंध#1.3 | स्कंध - 1.3]]। | <span class="GRef"> नियमसार/21-24 </span><span class="PrakritText">अइथूलथूलथूलं थूलसुहुमं च सुहुमथूलं च। सुहुमं अइसुहुमं इदि धरादियं होदि छब्भेयं।21। भूपव्वदमादिया भणिदा अइथूलथूलमिदि खंधा। थूला इदि विण्णेया सप्पीजलतेलमादीया।22। छायातवमादीया थूलेदरखंधमिदि वियाणाहि। सुहुमथूलेदि भणिया खंधा चउरक्खविसया य।23। सुहुमा हवंति खंधा पावोग्गा कम्मवग्गणस्स पुणो। तव्विवरीया खंधा अइसुहुमा इदि परूवेंदि।24।</span> = | ||
<ol> | |||
<li class="HindiText"> <b>भेद</b> - अतिस्थूलस्थूल, स्थूल, स्थूलसूक्ष्म, सूक्ष्मस्थूल, सूक्ष्म और अतिसूक्ष्म ऐसे पृथिवी आदि स्कंधों के छह भेद हैं।21। <span class="GRef">( महापुराण/24/249 )</span>; <span class="GRef">( पंचास्तिकाय / तत्त्वप्रदीपिका/76 )</span>; <span class="GRef">( योगसार (अमितगति)/2/20 )</span>; <span class="GRef">( गोम्मटसार जीवकांड/603/1059 )</span>; </li> | |||
<li class="HindiText"> <b>लक्षण</b> - भूमि, पर्वत आदि अतिस्थूलस्थूल स्कंध कहे गये हैं, घी, जल, तेल आदि स्थूलस्कंध जानना।22। छाया, आतप आदि स्थूल-सूक्ष्मस्कंध जानना, और चार इंद्रिय के विषयभूत स्कंधों को सूक्ष्म-स्थूल कहा गया है।23। और कर्म वर्गणा के योग्य '''स्कंध सूक्ष्म''' हैं, उनसे विपरीत (अर्थात् कर्म वर्गणा के अयोग्य) स्कंध अतिसूक्ष्म कहे जाते हैं।24।</span></li></ol> | |||
<p class="HindiText">अधिक जानकारी के लिये देखें [[ स्कंध#1.3 | स्कंध - 1.3]]।</p> | |||
<noinclude> | <noinclude> | ||
Line 8: | Line 13: | ||
</noinclude> | </noinclude> | ||
[[Category: स]] | [[Category: स]] | ||
[[Category: करणानुयोग]] |
Latest revision as of 17:35, 24 February 2024
नियमसार/21-24 अइथूलथूलथूलं थूलसुहुमं च सुहुमथूलं च। सुहुमं अइसुहुमं इदि धरादियं होदि छब्भेयं।21। भूपव्वदमादिया भणिदा अइथूलथूलमिदि खंधा। थूला इदि विण्णेया सप्पीजलतेलमादीया।22। छायातवमादीया थूलेदरखंधमिदि वियाणाहि। सुहुमथूलेदि भणिया खंधा चउरक्खविसया य।23। सुहुमा हवंति खंधा पावोग्गा कम्मवग्गणस्स पुणो। तव्विवरीया खंधा अइसुहुमा इदि परूवेंदि।24। =
- भेद - अतिस्थूलस्थूल, स्थूल, स्थूलसूक्ष्म, सूक्ष्मस्थूल, सूक्ष्म और अतिसूक्ष्म ऐसे पृथिवी आदि स्कंधों के छह भेद हैं।21। ( महापुराण/24/249 ); ( पंचास्तिकाय / तत्त्वप्रदीपिका/76 ); ( योगसार (अमितगति)/2/20 ); ( गोम्मटसार जीवकांड/603/1059 );
- लक्षण - भूमि, पर्वत आदि अतिस्थूलस्थूल स्कंध कहे गये हैं, घी, जल, तेल आदि स्थूलस्कंध जानना।22। छाया, आतप आदि स्थूल-सूक्ष्मस्कंध जानना, और चार इंद्रिय के विषयभूत स्कंधों को सूक्ष्म-स्थूल कहा गया है।23। और कर्म वर्गणा के योग्य स्कंध सूक्ष्म हैं, उनसे विपरीत (अर्थात् कर्म वर्गणा के अयोग्य) स्कंध अतिसूक्ष्म कहे जाते हैं।24।
अधिक जानकारी के लिये देखें स्कंध - 1.3।