परिनिष्क्रमण: Difference between revisions
From जैनकोष
Anita jain (talk | contribs) mNo edit summary |
(Imported from text file) |
||
Line 1: | Line 1: | ||
<div class="HindiText"> <p> संसार से विरक्ति होने पर इंद्र और लौकांतिक देवों के द्वारा तीर्थंकरों का अभिषेक और अलंकरण । इसके पश्चात् तीर्थंकर राज्य त्याग करके दीक्षा के लिए नगर से निष्क्रमण करते हैं । <span class="GRef"> महापुराण 17.46-47, 70-75, 91,99, 130 </span></p> | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> संसार से विरक्ति होने पर इंद्र और लौकांतिक देवों के द्वारा तीर्थंकरों का अभिषेक और अलंकरण । इसके पश्चात् तीर्थंकर राज्य त्याग करके दीक्षा के लिए नगर से निष्क्रमण करते हैं । <span class="GRef"> महापुराण 17.46-47, 70-75, 91,99, 130 </span></p> | ||
</div> | </div> | ||
Latest revision as of 15:11, 27 November 2023
संसार से विरक्ति होने पर इंद्र और लौकांतिक देवों के द्वारा तीर्थंकरों का अभिषेक और अलंकरण । इसके पश्चात् तीर्थंकर राज्य त्याग करके दीक्षा के लिए नगर से निष्क्रमण करते हैं । महापुराण 17.46-47, 70-75, 91,99, 130