पर्णलध्वी: Difference between revisions
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<div class="HindiText"> <p> एक विद्या । इससे पत्तों के समान शरीर हल्का और छोटा बनाया जाता है । यह विद्या आकाश से नीचे इच्छित स्थान पर उतरने में सहायक होती है । यह विद्या वसुदेव और भामंडल को प्राप्त थी । श्रीपाल इसी विद्या के द्वारा रत्नावर्त पर्वत पर गये थे । <span class="GRef"> महापुराण 47. 21-22, 62.398,70.258-259 </span><span class="GRef"> महापुराण 26. 129 </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 19.113, </span><span class="GRef"> पांडवपुराण 11. 24 </span></p> | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> एक विद्या । इससे पत्तों के समान शरीर हल्का और छोटा बनाया जाता है । यह विद्या आकाश से नीचे इच्छित स्थान पर उतरने में सहायक होती है । यह विद्या वसुदेव और भामंडल को प्राप्त थी । श्रीपाल इसी विद्या के द्वारा रत्नावर्त पर्वत पर गये थे । <span class="GRef"> महापुराण 47. 21-22, 62.398,70.258-259 </span><span class="GRef"> महापुराण 26. 129 </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_19#113|हरिवंशपुराण - 19.113]], </span><span class="GRef"> पांडवपुराण 11. 24 </span></p> | ||
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Latest revision as of 15:11, 27 November 2023
एक विद्या । इससे पत्तों के समान शरीर हल्का और छोटा बनाया जाता है । यह विद्या आकाश से नीचे इच्छित स्थान पर उतरने में सहायक होती है । यह विद्या वसुदेव और भामंडल को प्राप्त थी । श्रीपाल इसी विद्या के द्वारा रत्नावर्त पर्वत पर गये थे । महापुराण 47. 21-22, 62.398,70.258-259 महापुराण 26. 129 हरिवंशपुराण - 19.113, पांडवपुराण 11. 24