बुद्धिल: Difference between revisions
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<div class="HindiText"> <p> महावीर के मोक्ष जाने के पश्चात् एक सौ बासठ वर्ष का समय निकल जाने पर एक सौ तेरासी वर्ष में हुए दस पूर्व और ग्यारह अंग धारी ग्यारह मुनि-पुंगवों में नौवें मुनि । ये अंतिम श्रुतकेवली भद्रबाहु के पश्चात् हुए थे । इनका अपर नाम बुद्धिमान था । <span class="GRef"> महापुराण 2. 141-145, 76.521-524, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 1.62-63, </span><span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 1.45-47 </span></p> | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> महावीर के मोक्ष जाने के पश्चात् एक सौ बासठ वर्ष का समय निकल जाने पर एक सौ तेरासी वर्ष में हुए दस पूर्व और ग्यारह अंग धारी ग्यारह मुनि-पुंगवों में नौवें मुनि । ये अंतिम श्रुतकेवली भद्रबाहु के पश्चात् हुए थे । इनका अपर नाम बुद्धिमान था । <span class="GRef"> महापुराण 2. 141-145, 76.521-524, </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_1#62|हरिवंशपुराण - 1.62-63]], </span><span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 1.45-47 </span></p> | ||
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Latest revision as of 15:15, 27 November 2023
सिद्धांतकोष से
श्रुतावतार की पट्टावली के अनुसार आप का अपरनाम बुद्धिल था । आप भद्रबाहु श्रुतकेवली के पश्चात् नवें 11 अंग व 10 पूर्वधारी हुए हैं । समय - वी.नि. 295-315 (ई.पू. 232-212)- दृष्टि नं. 3 के अनुसार वी.नि. 355-375 । -देखें इतिहास - 4.4 ।
पुराणकोष से
महावीर के मोक्ष जाने के पश्चात् एक सौ बासठ वर्ष का समय निकल जाने पर एक सौ तेरासी वर्ष में हुए दस पूर्व और ग्यारह अंग धारी ग्यारह मुनि-पुंगवों में नौवें मुनि । ये अंतिम श्रुतकेवली भद्रबाहु के पश्चात् हुए थे । इनका अपर नाम बुद्धिमान था । महापुराण 2. 141-145, 76.521-524, हरिवंशपुराण - 1.62-63, वीरवर्द्धमान चरित्र 1.45-47