बलींद्र: Difference between revisions
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<div class="HindiText">वर्तमानकालीन सातवें प्रतिनारायण थे । अपरनाम प्रहरण व प्रह्लाद था । | <div class="HindiText">वर्तमानकालीन सातवें प्रतिनारायण थे । अपरनाम प्रहरण व प्रह्लाद था । <span class="GRef">( महापुराण/66/109 )</span> विशेष परिचय - देखें [[ शलाका पुरुष#5.1 | शलाका पुरुष - 5.1]] | ||
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<div class="HindiText"> <p id="1">(1) विजयार्ध पर्वत पर स्थित मंदरपुर का स्वामी । यह विद्याधरों का राजा था । इसने बलभद्र नंदिमित्र और नारायणदत्त से गंधगज की प्राप्ति के लिए युद्ध किया था । इस युद्ध में इसका पुत्र शतबलि बलभद्र नंदिमित्र द्वारा मारा गया था । अपने पुत्र की मृत्यु का प्रतिशोध लेने के लिए नारायणदत्त के मारने को इसने चक्र चलाया था किंतु चक्र प्रदक्षिणा देकर नारायणदत्त की दायी भुजा पर जाकर ठहर गया । इसी चक्र से यह नारायण दत्त द्वारा मारा गया और मरकर नरक गया । <span class="GRef"> महापुराण 66.109-125 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1" class="HindiText">(1) विजयार्ध पर्वत पर स्थित मंदरपुर का स्वामी । यह विद्याधरों का राजा था । इसने बलभद्र नंदिमित्र और नारायणदत्त से गंधगज की प्राप्ति के लिए युद्ध किया था । इस युद्ध में इसका पुत्र शतबलि बलभद्र नंदिमित्र द्वारा मारा गया था । अपने पुत्र की मृत्यु का प्रतिशोध लेने के लिए नारायणदत्त के मारने को इसने चक्र चलाया था किंतु चक्र प्रदक्षिणा देकर नारायणदत्त की दायी भुजा पर जाकर ठहर गया । इसी चक्र से यह नारायण दत्त द्वारा मारा गया और मरकर नरक गया । <span class="GRef"> महापुराण 66.109-125 </span></p> | ||
<p id="2">(2) विजयार्ध पर्वत के किलकिल नगर का स्वामी विद्याधर । यह प्रियंगुसुंदरी का पति तथा बाली और सुग्रीव का जनक था । <span class="GRef"> महापुराण 68.271-273 </span></p> | <p id="2" class="HindiText">(2) विजयार्ध पर्वत के किलकिल नगर का स्वामी विद्याधर । यह प्रियंगुसुंदरी का पति तथा बाली और सुग्रीव का जनक था । <span class="GRef"> महापुराण 68.271-273 </span></p> | ||
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Latest revision as of 15:15, 27 November 2023
सिद्धांतकोष से
वर्तमानकालीन सातवें प्रतिनारायण थे । अपरनाम प्रहरण व प्रह्लाद था । ( महापुराण/66/109 ) विशेष परिचय - देखें शलाका पुरुष - 5.1
पुराणकोष से
(1) विजयार्ध पर्वत पर स्थित मंदरपुर का स्वामी । यह विद्याधरों का राजा था । इसने बलभद्र नंदिमित्र और नारायणदत्त से गंधगज की प्राप्ति के लिए युद्ध किया था । इस युद्ध में इसका पुत्र शतबलि बलभद्र नंदिमित्र द्वारा मारा गया था । अपने पुत्र की मृत्यु का प्रतिशोध लेने के लिए नारायणदत्त के मारने को इसने चक्र चलाया था किंतु चक्र प्रदक्षिणा देकर नारायणदत्त की दायी भुजा पर जाकर ठहर गया । इसी चक्र से यह नारायण दत्त द्वारा मारा गया और मरकर नरक गया । महापुराण 66.109-125
(2) विजयार्ध पर्वत के किलकिल नगर का स्वामी विद्याधर । यह प्रियंगुसुंदरी का पति तथा बाली और सुग्रीव का जनक था । महापुराण 68.271-273