प्रातिहार्य: Difference between revisions
From जैनकोष
No edit summary |
(Imported from text file) |
||
(4 intermediate revisions by 2 users not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
| | ||
== सिद्धांतकोष से == | == सिद्धांतकोष से == | ||
<span class="HindiText"> भगवान के 8 प्रातिहार्य | <span class="HindiText"> भगवान के 46 गुण होते हैं । उसमें 8 प्रातिहार्य हैं । | ||
तिलोयपण्णत्ति अधिकार 4/915-927/ भावार्थ-<span class="HindiText">1. अशोक वृक्ष; 2. तीन छत्र; 3. रत्नखचित सिंहासन; 4. भक्ति युक्त गणों द्वारा वेष्टित रहना; 5. दुंदुभि नाद; 6. पुष्पवृष्टि; 7. प्रभामंडल; 8. चौसठ चमरयुक्तता । देखें [[ अर्हंत#8 | अर्हंत - 8 ]]। </span> | तिलोयपण्णत्ति अधिकार 4/915-927/ भावार्थ-<span class="HindiText">1. अशोक वृक्ष; 2. तीन छत्र; 3. रत्नखचित सिंहासन; 4. भक्ति युक्त गणों द्वारा वेष्टित रहना; 5. दुंदुभि नाद; 6. पुष्पवृष्टि; 7. प्रभामंडल; 8. चौसठ चमरयुक्तता । देखें [[ अर्हंत#8 | अर्हंत - 8 ]]। </span> | ||
Line 12: | Line 12: | ||
</noinclude> | </noinclude> | ||
[[Category: प]] | [[Category: प]] | ||
[[Category: करणानुयोग]] | |||
== पुराणकोष से == | == पुराणकोष से == | ||
<div class="HindiText"> <p> तीर्थंकर प्रकृति कर्म के उदय से अभिव्यक्त अर्हंत की विभूतियाँ । ये आठ होती हैं | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> तीर्थंकर प्रकृति कर्म के उदय से अभिव्यक्त अर्हंत की विभूतियाँ । ये आठ होती हैं | ||
- 1. अशोकवृक्ष | - 1. अशोकवृक्ष | ||
- 2. तीन छत्र | - 2. तीन छत्र | ||
Line 24: | Line 24: | ||
- 7. भामंडल, और | - 7. भामंडल, और | ||
- 8. चौसठ चमर | - 8. चौसठ चमर | ||
<span class="GRef"> महापुराण 7.293-302, 42.45, 54.231, </span><span class="GRef"> पद्मपुराण 2.148-154, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 3.31-39, </span><span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 15.1-19 </span></p> | <span class="GRef"> महापुराण 7.293-302, 42.45, 54.231, </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_2#148|पद्मपुराण - 2.148-154]], </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_3#31|हरिवंशपुराण - 3.31-39]], </span><span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 15.1-19 </span></p> | ||
</div> | </div> | ||
Latest revision as of 15:15, 27 November 2023
सिद्धांतकोष से
भगवान के 46 गुण होते हैं । उसमें 8 प्रातिहार्य हैं ।
तिलोयपण्णत्ति अधिकार 4/915-927/ भावार्थ-1. अशोक वृक्ष; 2. तीन छत्र; 3. रत्नखचित सिंहासन; 4. भक्ति युक्त गणों द्वारा वेष्टित रहना; 5. दुंदुभि नाद; 6. पुष्पवृष्टि; 7. प्रभामंडल; 8. चौसठ चमरयुक्तता । देखें अर्हंत - 8 ।
पुराणकोष से
तीर्थंकर प्रकृति कर्म के उदय से अभिव्यक्त अर्हंत की विभूतियाँ । ये आठ होती हैं
- 1. अशोकवृक्ष - 2. तीन छत्र - 3. सिंहासन - 4. दिव्यध्वनि - 5. दुंदुभि - 6. पुष्पवृष्टि - 7. भामंडल, और - 8. चौसठ चमरमहापुराण 7.293-302, 42.45, 54.231, पद्मपुराण - 2.148-154, हरिवंशपुराण - 3.31-39, वीरवर्द्धमान चरित्र 15.1-19