भारद्वाज: Difference between revisions
From जैनकोष
Jagrti jain (talk | contribs) mNo edit summary |
(Imported from text file) |
||
(One intermediate revision by the same user not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
== सिद्धांतकोष से == | == सिद्धांतकोष से == | ||
<ol> | <ol> | ||
<li> एक ब्राह्मण पुत्र | <li> एक ब्राह्मण पुत्र <span class="GRef">( महापुराण/74/76 )</span> यह वर्धमान भगवान् का दूरवर्ती पूर्वभव है–देखें [[ महावीर ]]। </li> | ||
<li> भरतक्षेत्र उत्तर आर्यखंड का एक देश–देखें [[ मनुष्य#4 | मनुष्य - 4]]।</li> | <li> भरतक्षेत्र उत्तर आर्यखंड का एक देश–देखें [[ मनुष्य#4 | मनुष्य - 4]]।</li> | ||
</ol> | </ol> | ||
Line 15: | Line 15: | ||
== पुराणकोष से == | == पुराणकोष से == | ||
<p id="1"> (1) भरतक्षेत्र के स्थूणागार नगर का निवासी एक ब्राह्मण । ब्राह्मणी पुष्पदत्ता इसकी स्त्री और उससे उत्पन्न पुष्यमित्र इसका पुत्र था । <span class="GRef"> महापुराण 74.70-71, </span><span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 2.110-113 </span></p> | <p id="1" class="HindiText"> (1) भरतक्षेत्र के स्थूणागार नगर का निवासी एक ब्राह्मण । ब्राह्मणी पुष्पदत्ता इसकी स्त्री और उससे उत्पन्न पुष्यमित्र इसका पुत्र था । <span class="GRef"> महापुराण 74.70-71, </span><span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 2.110-113 </span></p> | ||
<p id="2">(2) तीर्थंकर महावीर के पूर्वभव का जीव । यह भारतवर्ष के पुरातनमंदिर नगर के ब्राह्मण सालंकायन तथा उसकी स्त्री ब्राह्मणी मंदिरा का पुत्र था । इसने तप के द्वारा देवायु का बंध किया था तथा मरकर माहेंद्र स्वर्ग में सात सागरोपम आयु का धारी देव हुआ था । पश्चात् वहाँ से च्युत होकर यह बहुत समय तक त्रस स्थावर योनियों में भटकने के बाद मगध देश का राजगृही नगरी में शांडिल्य का स्थावर नामक पुत्र हुआ था । <span class="GRef"> महापुराण 74.78-83, 76.523, </span><span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 2.125-131, 3.2-3 </span></p> | <p id="2" class="HindiText">(2) तीर्थंकर महावीर के पूर्वभव का जीव । यह भारतवर्ष के पुरातनमंदिर नगर के ब्राह्मण सालंकायन तथा उसकी स्त्री ब्राह्मणी मंदिरा का पुत्र था । इसने तप के द्वारा देवायु का बंध किया था तथा मरकर माहेंद्र स्वर्ग में सात सागरोपम आयु का धारी देव हुआ था । पश्चात् वहाँ से च्युत होकर यह बहुत समय तक त्रस स्थावर योनियों में भटकने के बाद मगध देश का राजगृही नगरी में शांडिल्य का स्थावर नामक पुत्र हुआ था । <span class="GRef"> महापुराण 74.78-83, 76.523, </span><span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 2.125-131, 3.2-3 </span></p> | ||
<p id="3">(3) भरतक्षेत्र के उत्तर आर्यखंड का एक देश । भरतेश के पूर्व यहाँ उनके एक छोटे भाई का शासन था । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 11. 67 </span></p> | <p id="3" class="HindiText">(3) भरतक्षेत्र के उत्तर आर्यखंड का एक देश । भरतेश के पूर्व यहाँ उनके एक छोटे भाई का शासन था । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_11#67|हरिवंशपुराण - 11.67]] </span></p> | ||
Latest revision as of 15:15, 27 November 2023
== सिद्धांतकोष से ==
- एक ब्राह्मण पुत्र ( महापुराण/74/76 ) यह वर्धमान भगवान् का दूरवर्ती पूर्वभव है–देखें महावीर ।
- भरतक्षेत्र उत्तर आर्यखंड का एक देश–देखें मनुष्य - 4।
पुराणकोष से
(1) भरतक्षेत्र के स्थूणागार नगर का निवासी एक ब्राह्मण । ब्राह्मणी पुष्पदत्ता इसकी स्त्री और उससे उत्पन्न पुष्यमित्र इसका पुत्र था । महापुराण 74.70-71, वीरवर्द्धमान चरित्र 2.110-113
(2) तीर्थंकर महावीर के पूर्वभव का जीव । यह भारतवर्ष के पुरातनमंदिर नगर के ब्राह्मण सालंकायन तथा उसकी स्त्री ब्राह्मणी मंदिरा का पुत्र था । इसने तप के द्वारा देवायु का बंध किया था तथा मरकर माहेंद्र स्वर्ग में सात सागरोपम आयु का धारी देव हुआ था । पश्चात् वहाँ से च्युत होकर यह बहुत समय तक त्रस स्थावर योनियों में भटकने के बाद मगध देश का राजगृही नगरी में शांडिल्य का स्थावर नामक पुत्र हुआ था । महापुराण 74.78-83, 76.523, वीरवर्द्धमान चरित्र 2.125-131, 3.2-3
(3) भरतक्षेत्र के उत्तर आर्यखंड का एक देश । भरतेश के पूर्व यहाँ उनके एक छोटे भाई का शासन था । हरिवंशपुराण - 11.67