शरीर मद: Difference between revisions
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<span class="GRef">(रत्नकरंड श्रावकाचार/25)</span> | <ul><li><span class="GRef">([[ग्रन्थ:रत्नकरंड श्रावकाचार - श्लोक 25 | रत्नकरंड श्रावकाचार/25]])</li></ul></span> | ||
<p class="SanskritText">ज्ञानं पूजां कुलं जातिं बलमृद्धिं तपो वपु:। अष्टावाश्रित्य मानित्वं स्मयमाहुर्गतस्मया:।25।</p> | <p class="SanskritText">ज्ञानं पूजां कुलं जातिं बलमृद्धिं तपो वपु:। अष्टावाश्रित्य मानित्वं स्मयमाहुर्गतस्मया:।25।</p> | ||
<p class="HindiText">= ज्ञान, पूजा (प्रतिष्ठा), कुल, जाति, बल, ऋद्धि, तप, शरीर की सुंदरता इन आठों को आश्रय करके गर्व करने को मद कहते हैं।</p> | <p class="HindiText">= ज्ञान, पूजा (प्रतिष्ठा), कुल, जाति, बल, ऋद्धि, तप, शरीर की सुंदरता इन आठों को आश्रय करके गर्व करने को मद कहते हैं।</p> | ||
<ul><li | <ul><li class="HindiText">अधिक जानकारी के लिए देखे [[ मद ]]।</li></ul></span> | ||
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Latest revision as of 15:25, 27 November 2023
ज्ञानं पूजां कुलं जातिं बलमृद्धिं तपो वपु:। अष्टावाश्रित्य मानित्वं स्मयमाहुर्गतस्मया:।25।
= ज्ञान, पूजा (प्रतिष्ठा), कुल, जाति, बल, ऋद्धि, तप, शरीर की सुंदरता इन आठों को आश्रय करके गर्व करने को मद कहते हैं।
- अधिक जानकारी के लिए देखे मद ।