अंजनशैल: Difference between revisions
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<p class="HindiText"> देवकुरु में सीतोदा नदी के पूर्व व पश्चिम में क्रम से स्वस्तिक, '''अंजन''', भद्रशाल वन में सीतोदा के दक्षिण व उत्तर तट पर '''अंजन''' व कुमुद; उत्तरकुरु में सीता नदी के पश्चिम व पूर्व में अवतंस व रोचन, तथा पूर्वी भद्रशाल वन में सीता नदी के उत्तर व दक्षिण तट पर पद्मोत्तर व नील नामक दिग्गजेंद्र पर्वत हैं। | <p class="HindiText"> देवकुरु में सीतोदा नदी के पूर्व व पश्चिम में क्रम से स्वस्तिक, '''अंजन''', भद्रशाल वन में सीतोदा के दक्षिण व उत्तर तट पर '''अंजन''' व कुमुद; उत्तरकुरु में सीता नदी के पश्चिम व पूर्व में अवतंस व रोचन, तथा पूर्वी भद्रशाल वन में सीता नदी के उत्तर व दक्षिण तट पर पद्मोत्तर व नील नामक दिग्गजेंद्र पर्वत हैं। <span class="GRef">(तिलोयपण्णत्ति/4/2103 +2122+2130+2134)</span>; <span class="GRef">(राजवार्तिक/3/10/13/178/6</span> ); <span class="GRef">([[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_5#205|हरिवंशपुराण - 5.205-209]] )</span>; <span class="GRef">(त्रिलोकसार/661-662</span> ); <span class="GRef">(जंबूद्वीपपण्णत्तिसंगहो/4/74-75)</span></p> | ||
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Latest revision as of 14:40, 27 November 2023
विदेह क्षेत्रस्य भद्रशाल वन में एक दिग्गजेंद्र पर्वत - देखें लोक - 5.3।
देवकुरु में सीतोदा नदी के पूर्व व पश्चिम में क्रम से स्वस्तिक, अंजन, भद्रशाल वन में सीतोदा के दक्षिण व उत्तर तट पर अंजन व कुमुद; उत्तरकुरु में सीता नदी के पश्चिम व पूर्व में अवतंस व रोचन, तथा पूर्वी भद्रशाल वन में सीता नदी के उत्तर व दक्षिण तट पर पद्मोत्तर व नील नामक दिग्गजेंद्र पर्वत हैं। (तिलोयपण्णत्ति/4/2103 +2122+2130+2134); (राजवार्तिक/3/10/13/178/6 ); (हरिवंशपुराण - 5.205-209 ); (त्रिलोकसार/661-662 ); (जंबूद्वीपपण्णत्तिसंगहो/4/74-75)