रम्या: Difference between revisions
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<div class="HindiText"> <p id="1"> (1) भरतक्षेत्र के आर्यखंड की एक नदी । दिग्विजय के समय भरतेश की सेना यहाँ आयी थी । <span class="GRef"> महापुराण 29.61 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1" class="HindiText"> (1) भरतक्षेत्र के आर्यखंड की एक नदी । दिग्विजय के समय भरतेश की सेना यहाँ आयी थी । <span class="GRef"> महापुराण 29.61 </span></p> | ||
<p id="2">(2) पूर्व विदेहक्षेत्र का पाँचवाँ देश । अंकवती नगरी इस देश की राजधानी थी । <span class="GRef"> महापुराण 63. 208-214, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 5.247-248 </span></p> | <p id="2" class="HindiText">(2) पूर्व विदेहक्षेत्र का पाँचवाँ देश । अंकवती नगरी इस देश की राजधानी थी । <span class="GRef"> महापुराण 63. 208-214, </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_5#247|हरिवंशपुराण - 5.247-248]] </span></p> | ||
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Latest revision as of 15:21, 27 November 2023
सिद्धांतकोष से
- भरत आर्यखंड की एक नदी− नदी सम्बंधित अधिक जानकारी के लिए देखें मनुष्य - 4.6 ।
- पूर्व विदेहस्थ एक क्षेत्र− सम्बंधित अधिक जानकारी के लिए देखें लोक - 5.2;
- पूर्व विदेहस्थ अंजन वक्षार का एक कूट - विषय सम्बंधित अधिक जानकारी के लिए देखें लोक - 5.4;
- पूर्व विदेह में अंजन वक्षार पर स्थित रम्याकूट का रक्षक देव− विषय सम्बंधित अधिक जानकारी के लिए देखें लोक - 5.4;
- नंदीश्वर द्वीप की उत्तर दिशा में स्थित वापी | वापी सम्बंधित अधिक जानकारी के लिए −देखें लोक - 5.11 ।
पुराणकोष से
(1) भरतक्षेत्र के आर्यखंड की एक नदी । दिग्विजय के समय भरतेश की सेना यहाँ आयी थी । महापुराण 29.61
(2) पूर्व विदेहक्षेत्र का पाँचवाँ देश । अंकवती नगरी इस देश की राजधानी थी । महापुराण 63. 208-214, हरिवंशपुराण - 5.247-248