मिथ्यात्वप्रकृति: Difference between revisions
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<div class="HindiText"> <p> अतत्त्व श्रद्धान उत्पन्न कराने वाला कर्म । आसन्नभव्य जीव पाँच देशना आदि लब्धियों से युक्त होता हुआ तीन करणों-अध:करण, अपूर्वकरण और अनिवृत्तिकरण के द्वारा सम्यग्दृष्टि होता है । <span class="GRef"> महापुराण 9. 120 </span></p> | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> अतत्त्व श्रद्धान उत्पन्न कराने वाला कर्म । आसन्नभव्य जीव पाँच देशना आदि लब्धियों से युक्त होता हुआ तीन करणों-अध:करण, अपूर्वकरण और अनिवृत्तिकरण के द्वारा सम्यग्दृष्टि होता है । <span class="GRef"> महापुराण 9. 120 </span></p> | ||
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Latest revision as of 15:20, 27 November 2023
अतत्त्व श्रद्धान उत्पन्न कराने वाला कर्म । आसन्नभव्य जीव पाँच देशना आदि लब्धियों से युक्त होता हुआ तीन करणों-अध:करण, अपूर्वकरण और अनिवृत्तिकरण के द्वारा सम्यग्दृष्टि होता है । महापुराण 9. 120