आत्ममुखहेत्वाभास: Difference between revisions
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<span class="GRef"> परीक्षामुख/6/16-20 </span><span class="SanskritText">तत्र प्रत्यक्षबाधितो यथा - अनुष्णोऽग्निर्द्रव्यत्वाज्ज-लवत् ।16। अपरिणामी शब्दः कृतकत्वाद् घटवत् ।17। प्रेत्यासुखप्रदो धर्मः पुरुषाश्रितत्वादधर्मवत् ।18। शुचि नरशिरः कपालं प्राण्यंगत्वाच्छुंक्तिवत् ।19। माता मे बंध्या पुरुषसंयोगेऽप्यगर्भवत्त्वात्प्रसिद्धबंध्यावत् ।20।</span> | <p class="HindiText"> जो आत्म अर्थात् स्व, मुख अर्थात् वचन से बाधित हो उसे स्ववचन-बाधित हेत्वाभास कहते हैं।</p> | ||
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अग्नि ठंडी है क्योंकि द्रव्य है जैसे जल । यह प्रत्यक्ष बाधित का उदाहरण है . क्योंकि स्पर्शन प्रत्यक्ष से अग्निकी शीतलता बाधित है ।16। शब्द अपरिणामी है, क्योंकि वह किया जाता है जैसे ‘घट’, यह अनुमानबाधित का उदाहरण है ।17। धर्म पर भव में दुःख देने वाला है क्योंकि वह पुरुष के अधीनहै जैसे अधर्म । यह आगम बाधित का उदाहरण है, क्योंकि यहाँ उदाहरण रूप ‘धर्म’ तो परभव में सुख देने वाला है ।18। मनुष्य के मस्तक की खोपड़ी पवित्र है क्योंकि वह प्राणी का अंग है, जिस प्रकार शंख, सीप प्राणी के अंग होने से पवित्र गिने जाते हैं, यह लोकबाधितका उदाहरण है ।19। मेरी माँ बाँझ है क्योंकि पुरुष के संयोग होने पर भी उसके गर्भ नहीं रहता । जैसे प्रसिद्ध बंध्या स्त्री के पुरुष के संयोग रहने पर भी गर्भ नहीं रहता । यह '''स्ववचनबाधित''' का उदाहरण है , क्योंकि मेरी माँ और बाँझ ये बाधित वचन हैं । 20/ | <span class="GRef"> परीक्षामुख/6/16-20 </span><span class="SanskritText">तत्र प्रत्यक्षबाधितो यथा - अनुष्णोऽग्निर्द्रव्यत्वाज्ज-लवत् ।16। अपरिणामी शब्दः कृतकत्वाद् घटवत् ।17। प्रेत्यासुखप्रदो धर्मः पुरुषाश्रितत्वादधर्मवत् ।18। शुचि नरशिरः कपालं प्राण्यंगत्वाच्छुंक्तिवत् ।19। माता मे बंध्या पुरुषसंयोगेऽप्यगर्भवत्त्वात्प्रसिद्धबंध्यावत् ।20।</span> | ||
<span class="HindiText">=अग्नि ठंडी है क्योंकि द्रव्य है जैसे जल । यह प्रत्यक्ष बाधित का उदाहरण है . क्योंकि स्पर्शन प्रत्यक्ष से अग्निकी शीतलता बाधित है ।16। शब्द अपरिणामी है, क्योंकि वह किया जाता है जैसे ‘घट’, यह अनुमानबाधित का उदाहरण है ।17। धर्म पर भव में दुःख देने वाला है क्योंकि वह पुरुष के अधीनहै जैसे अधर्म । यह आगम बाधित का उदाहरण है, क्योंकि यहाँ उदाहरण रूप ‘धर्म’ तो परभव में सुख देने वाला है ।18। मनुष्य के मस्तक की खोपड़ी पवित्र है क्योंकि वह प्राणी का अंग है, जिस प्रकार शंख, सीप प्राणी के अंग होने से पवित्र गिने जाते हैं, यह लोकबाधितका उदाहरण है ।19। मेरी माँ बाँझ है क्योंकि पुरुष के संयोग होने पर भी उसके गर्भ नहीं रहता । जैसे प्रसिद्ध बंध्या स्त्री के पुरुष के संयोग रहने पर भी गर्भ नहीं रहता । यह '''स्ववचनबाधित''' का उदाहरण है , क्योंकि मेरी माँ और बाँझ ये बाधित वचन हैं । 20/ </span> <span class="GRef">( न्यायदीपिका/3/63/102/14 )</span> । | |||
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Latest revision as of 22:16, 17 November 2023
जो आत्म अर्थात् स्व, मुख अर्थात् वचन से बाधित हो उसे स्ववचन-बाधित हेत्वाभास कहते हैं।
परीक्षामुख/6/16-20 तत्र प्रत्यक्षबाधितो यथा - अनुष्णोऽग्निर्द्रव्यत्वाज्ज-लवत् ।16। अपरिणामी शब्दः कृतकत्वाद् घटवत् ।17। प्रेत्यासुखप्रदो धर्मः पुरुषाश्रितत्वादधर्मवत् ।18। शुचि नरशिरः कपालं प्राण्यंगत्वाच्छुंक्तिवत् ।19। माता मे बंध्या पुरुषसंयोगेऽप्यगर्भवत्त्वात्प्रसिद्धबंध्यावत् ।20।
=अग्नि ठंडी है क्योंकि द्रव्य है जैसे जल । यह प्रत्यक्ष बाधित का उदाहरण है . क्योंकि स्पर्शन प्रत्यक्ष से अग्निकी शीतलता बाधित है ।16। शब्द अपरिणामी है, क्योंकि वह किया जाता है जैसे ‘घट’, यह अनुमानबाधित का उदाहरण है ।17। धर्म पर भव में दुःख देने वाला है क्योंकि वह पुरुष के अधीनहै जैसे अधर्म । यह आगम बाधित का उदाहरण है, क्योंकि यहाँ उदाहरण रूप ‘धर्म’ तो परभव में सुख देने वाला है ।18। मनुष्य के मस्तक की खोपड़ी पवित्र है क्योंकि वह प्राणी का अंग है, जिस प्रकार शंख, सीप प्राणी के अंग होने से पवित्र गिने जाते हैं, यह लोकबाधितका उदाहरण है ।19। मेरी माँ बाँझ है क्योंकि पुरुष के संयोग होने पर भी उसके गर्भ नहीं रहता । जैसे प्रसिद्ध बंध्या स्त्री के पुरुष के संयोग रहने पर भी गर्भ नहीं रहता । यह स्ववचनबाधित का उदाहरण है , क्योंकि मेरी माँ और बाँझ ये बाधित वचन हैं । 20/ ( न्यायदीपिका/3/63/102/14 ) ।
देखें बाधित स्ववचन।