आनंदा: Difference between revisions
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<p id="2">(2) रूचकगिरि के अंजनकूट की निवासिनी दिक्कुमारी देवी । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 5.706 </span></p> | <p id="2" class="HindiText">(2) रूचकगिरि के अंजनकूट की निवासिनी दिक्कुमारी देवी । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_5#706|हरिवंशपुराण - 5.706]] </span></p> | ||
<p id="3">(3) नंदीश्वर द्वीप में अंजनगिरि की चारों दिशाओं में वर्तमान चार वापियों में एक वापी । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 5.664 </span></p> | <p id="3" class="HindiText">(3) नंदीश्वर द्वीप में अंजनगिरि की चारों दिशाओं में वर्तमान चार वापियों में एक वापी । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_5#664|हरिवंशपुराण - 5.664]] </span></p> | ||
<p id="4">(4) रावण की एक रानी । <span class="GRef"> पद्मपुराण 77. 9-14 </span></p> | <p id="4" class="HindiText">(4) रावण की एक रानी । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_77#9|पद्मपुराण - 77.9-14]] </span></p> | ||
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Latest revision as of 14:40, 27 November 2023
सिद्धांतकोष से
यह रूचक पर्वत पूर्व-दिशा निवासिनी सप्तम दिवकुमारी देवी का नाम है। इसे नंदोत्तरा देवी भी कहते हैं।
देवों के सम्बन्ध में विस्तार से जानने हेतु देखें लोक - 5.13
पुराणकोष से
(1) समवसरण के अशोक वन में स्थिर छ: वापियों में एक वापी । हरिवंशपुराण - 57.32
(2) रूचकगिरि के अंजनकूट की निवासिनी दिक्कुमारी देवी । हरिवंशपुराण - 5.706
(3) नंदीश्वर द्वीप में अंजनगिरि की चारों दिशाओं में वर्तमान चार वापियों में एक वापी । हरिवंशपुराण - 5.664
(4) रावण की एक रानी । पद्मपुराण - 77.9-14