वज्रमृष्टि: Difference between revisions
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<div class="HindiText"> <p id="1"> (1) उज्जयिनी के राजा वृषभध्वज के योद्धा दृढ़मुष्टि का पुत्र । इसकी माता वप्रश्री थी । इसका विवाह सेठ विमलचंद्र की पुत्री मंगी से हुआ था । थोड़े समय बाद मंगी अन्यासक्त हुई । इससे यह दुःखी हुआ और विरक्त होकर इसने मुनि वरधर्म से दीक्षा ले ली । <span class="GRef"> महापुराण 71. 209-248, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 33. 103-129 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1" class="HindiText"> (1) उज्जयिनी के राजा वृषभध्वज के योद्धा दृढ़मुष्टि का पुत्र । इसकी माता वप्रश्री थी । इसका विवाह सेठ विमलचंद्र की पुत्री मंगी से हुआ था । थोड़े समय बाद मंगी अन्यासक्त हुई । इससे यह दुःखी हुआ और विरक्त होकर इसने मुनि वरधर्म से दीक्षा ले ली । <span class="GRef"> महापुराण 71. 209-248, </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_33#103|हरिवंशपुराण - 33.103-129]] </span></p> | ||
<p id="2">(2) भरतक्षेत्र में सिंहपुर नगर के राजा सिंहसेन का मल्ल । धरोहर हड़पने के अपराध में श्रीभूति मंत्री को इस मल्ल के तीस घूसों का दंड दिया गया था । <span class="GRef"> महापुराण 59. 146-175, </span></p> | <p id="2" class="HindiText">(2) भरतक्षेत्र में सिंहपुर नगर के राजा सिंहसेन का मल्ल । धरोहर हड़पने के अपराध में श्रीभूति मंत्री को इस मल्ल के तीस घूसों का दंड दिया गया था । <span class="GRef"> महापुराण 59. 146-175, </span></p> | ||
<p id="3">(3) जंबूद्वीप की पुंडरीकिणी नगरी का एक पुरुष । इसकी पत्नी सुभद्रा तथा पुत्री सुमति थी । आगामी दूसरे भव में सुमति कृष्ण की पटरानी जांबवती हुई । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 60. 50-52 </span></p> | <p id="3" class="HindiText">(3) जंबूद्वीप की पुंडरीकिणी नगरी का एक पुरुष । इसकी पत्नी सुभद्रा तथा पुत्री सुमति थी । आगामी दूसरे भव में सुमति कृष्ण की पटरानी जांबवती हुई । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_60#50|हरिवंशपुराण - 60.50-52]] </span></p> | ||
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Latest revision as of 15:21, 27 November 2023
(1) उज्जयिनी के राजा वृषभध्वज के योद्धा दृढ़मुष्टि का पुत्र । इसकी माता वप्रश्री थी । इसका विवाह सेठ विमलचंद्र की पुत्री मंगी से हुआ था । थोड़े समय बाद मंगी अन्यासक्त हुई । इससे यह दुःखी हुआ और विरक्त होकर इसने मुनि वरधर्म से दीक्षा ले ली । महापुराण 71. 209-248, हरिवंशपुराण - 33.103-129
(2) भरतक्षेत्र में सिंहपुर नगर के राजा सिंहसेन का मल्ल । धरोहर हड़पने के अपराध में श्रीभूति मंत्री को इस मल्ल के तीस घूसों का दंड दिया गया था । महापुराण 59. 146-175,
(3) जंबूद्वीप की पुंडरीकिणी नगरी का एक पुरुष । इसकी पत्नी सुभद्रा तथा पुत्री सुमति थी । आगामी दूसरे भव में सुमति कृष्ण की पटरानी जांबवती हुई । हरिवंशपुराण - 60.50-52