वीथी: Difference between revisions
From जैनकोष
No edit summary |
(Imported from text file) |
||
(2 intermediate revisions by 2 users not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
<div class="HindiText"> <p> समवसरणभूमि के मार्ग । इस भूमि के चारों महादिशाओं में दो-दो कोश विस्तृत ऐसी चार महावीथियाँ होती हैं । ये अपने मध्य में स्थित चार महास्तंभों के पीठ धारण करती है । <span class="GRef"> <span class="GRef"> हरिवंशपुराण </span> 57.10 </span>वीभत्स― रावण का एक सिं<span class="GRef"> हरिवंशपुराण </span>थी सामंत । <span class="GRef"> पद्मपुराण 57.46, 48 </span></p> | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> समवसरणभूमि के मार्ग । इस भूमि के चारों महादिशाओं में दो-दो कोश विस्तृत ऐसी चार महावीथियाँ होती हैं । ये अपने मध्य में स्थित चार महास्तंभों के पीठ धारण करती है । <span class="GRef"> <span class="GRef"> हरिवंशपुराण </span> 57.10 </span>वीभत्स― रावण का एक सिं<span class="GRef"> हरिवंशपुराण </span>थी सामंत । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_57#46|पद्मपुराण - 57.46]],[[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_57#48|पद्मपुराण - 57.48]] </span></p> | ||
</div> | </div> | ||
Line 10: | Line 10: | ||
[[Category: पुराण-कोष]] | [[Category: पुराण-कोष]] | ||
[[Category: व]] | [[Category: व]] | ||
[[Category: | [[Category: प्रथमानुयोग]] |
Latest revision as of 15:25, 27 November 2023
समवसरणभूमि के मार्ग । इस भूमि के चारों महादिशाओं में दो-दो कोश विस्तृत ऐसी चार महावीथियाँ होती हैं । ये अपने मध्य में स्थित चार महास्तंभों के पीठ धारण करती है । हरिवंशपुराण 57.10 वीभत्स― रावण का एक सिं हरिवंशपुराण थी सामंत । पद्मपुराण - 57.46,पद्मपुराण - 57.48