शय्या-परीषह: Difference between revisions
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<div class="HindiText"> <p> बाईस परीषहों में एक परीषह । ध्यान और अध्ययन में हुए श्रम के कारण रात्रि में भूमि में एक करवट से बिना कुछ ओढ़े हुए अल्प निद्रा लेना शय्या परीषह है । मुनि इसे सहर्ष सहते हैं । उनके मन में इस परीषह को जीतने में कोई विकार पैदा नहीं होता । <span class="GRef"> महापुराण 36.120, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 63. 102 </span></p> | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> बाईस परीषहों में एक परीषह । ध्यान और अध्ययन में हुए श्रम के कारण रात्रि में भूमि में एक करवट से बिना कुछ ओढ़े हुए अल्प निद्रा लेना शय्या परीषह है । मुनि इसे सहर्ष सहते हैं । उनके मन में इस परीषह को जीतने में कोई विकार पैदा नहीं होता । <span class="GRef"> महापुराण 36.120, </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_63#102|हरिवंशपुराण - 63.102]] </span></p> | ||
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Latest revision as of 15:25, 27 November 2023
बाईस परीषहों में एक परीषह । ध्यान और अध्ययन में हुए श्रम के कारण रात्रि में भूमि में एक करवट से बिना कुछ ओढ़े हुए अल्प निद्रा लेना शय्या परीषह है । मुनि इसे सहर्ष सहते हैं । उनके मन में इस परीषह को जीतने में कोई विकार पैदा नहीं होता । महापुराण 36.120, हरिवंशपुराण - 63.102