वर्द्धमान: Difference between revisions
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<p id="2">(2) रुचकवर पर्वत की उत्तर दिशा का एक कूट । यहाँ अंजन गिरि का दिग्गजेंद्र देव रहता है । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 5.703, </span>देखें [[ रुचकवर ]]</p> | <p id="2" class="HindiText">(2) रुचकवर पर्वत की उत्तर दिशा का एक कूट । यहाँ अंजन गिरि का दिग्गजेंद्र देव रहता है । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_5#703|हरिवंशपुराण - 5.703]], </span>देखें [[ रुचकवर ]]</p> | ||
<p id="3">(3) नृत्य का एक भेद । <span class="GRef"> महापुराण 14.133 </span></p> | <p id="3" class="HindiText">(3) नृत्य का एक भेद । <span class="GRef"> महापुराण 14.133 </span></p> | ||
<p id="4">(4) कीर्ति तथा गुणों से वर्द्धमान होने के कारण इंद्र द्वारा प्रदत्त तीर्थंकर महावीर का एक नाम । <span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 1. 4, </span>देखें [[ महावीर ]]</p> | <p id="4" class="HindiText">(4) कीर्ति तथा गुणों से वर्द्धमान होने के कारण इंद्र द्वारा प्रदत्त तीर्थंकर महावीर का एक नाम । <span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 1. 4, </span>देखें [[ महावीर ]]</p> | ||
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Latest revision as of 15:21, 27 November 2023
सिद्धांतकोष से
सामान्य परिचय
तीर्थंकर क्रमांक | 24 |
---|---|
चिह्न | सिंह |
पिता | सिद्धार्थ |
माता | प्रियकारिणी |
वंश | नाथ |
उत्सेध (ऊँचाई) | 7 हाथ |
वर्ण | स्वर्ण |
आयु | 72 वर्ष |
पूर्व भव सम्बंधित तथ्य
पूर्व मनुष्य भव | नन्द |
---|---|
पूर्व मनुष्य भव में क्या थे | मण्डलेश्वर |
पूर्व मनुष्य भव के पिता | प्रौष्ठिल |
पूर्व मनुष्य भव का देश, नगर | जम्बू भरत छत्रपुर |
पूर्व भव की देव पर्याय | पुष्पोत्तर |
गर्भ-जन्म कल्याणक सम्बंधित तथ्य
गर्भ-तिथि | आषाढ़ शुक्ल 6 |
---|---|
गर्भ-नक्षत्र | उत्तराषाढा |
गर्भ-काल | अन्तिम रात्रि |
जन्म तिथि | चैत्र शुक्ल 13 |
जन्म नगरी | कुण्डलपुर |
जन्म नक्षत्र | उत्तरा-फाल्गुनी |
योग | अर्यमा |
दीक्षा कल्याणक सम्बंधित तथ्य
वैराग्य कारण | जातिस्मरण |
---|---|
दीक्षा तिथि | मार्गशीर्ष कृष्ण 10 |
दीक्षा नक्षत्र | उत्तरा फा꠶ |
दीक्षा काल | अपराह्न |
दीक्षोपवास | तृतीय भक्त |
दीक्षा वन | नाथ |
दीक्षा वृक्ष | साल |
सह दीक्षित | एकाकी |
ज्ञान कल्याणक सम्बंधित तथ्य
केवलज्ञान तिथि | वैशाख शुक्ल 10 |
---|---|
केवलज्ञान नक्षत्र | मघा |
केवलोत्पत्ति काल | अपराह्न |
केवल स्थान | ऋजुकूला |
केवल वृक्ष | शाल |
निर्वाण कल्याणक सम्बंधित तथ्य
योग निवृत्ति काल | दो दिन पूर्व |
---|---|
निर्वाण तिथि | कार्तिक कृष्ण 14 |
निर्वाण नक्षत्र | स्वाति |
निर्वाण काल | प्रात: |
निर्वाण क्षेत्र | पावापुरी |
समवशरण सम्बंधित तथ्य
समवसरण का विस्तार | 1 योजन |
---|---|
सह मुक्त | एकाकी |
पूर्वधारी | 300 |
शिक्षक | 9900 |
अवधिज्ञानी | 1300 |
केवली | 700 |
विक्रियाधारी | 900 |
मन:पर्ययज्ञानी | 500 |
वादी | 400 |
सर्व ऋषि संख्या | 14000 |
गणधर संख्या | 11 |
मुख्य गणधर | इन्द्रभूति |
आर्यिका संख्या | 36000 |
मुख्य आर्यिका | चन्दना |
श्रावक संख्या | 100000 |
मुख्य श्रोता | श्रेणिक |
श्राविका संख्या | 300000 |
यक्ष | गुह्यक |
यक्षिणी | सिद्धयिनी |
आयु विभाग
आयु | 72 वर्ष |
---|---|
कुमारकाल | 30 वर्ष |
विशेषता | त्याग |
छद्मस्थ काल | 12 वर्ष |
केवलिकाल | 30 वर्ष |
तीर्थ संबंधी तथ्य
जन्मान्तरालकाल | 278 वर्ष |
---|---|
तीर्थकाल | 21042 वर्ष |
तीर्थ व्युच्छित्ति | ❌ |
शासन काल में हुए अन्य शलाका पुरुष | |
चक्रवर्ती | ❌ |
बलदेव | ❌ |
नारायण | ❌ |
प्रतिनारायण | ❌ |
रुद्र | सात्यिक |
- प्रवचनसार / तात्पर्यवृत्ति/1/3/16 अब समंतादृद्धं ‘वृद्धं’ मानं प्रमाणं ज्ञानं यस्य स भवित वर्द्धमानः । = ‘अव’ अर्थात् समंतात्, ॠृद्धम् अर्थात् वृद्ध, मान अर्थात् प्रमाण या ज्ञान । अर्थात् हर प्रकार से वृद्ध ज्ञान जिसके होता है ऐसे भगवान् वर्द्धमान हैं ।
- भगवान् महावीर का अपरनाम भी वर्द्धमान है - देखें महावीर ।
- रुचक पर्वत का एक कूट है - देखें लोक - 5.13;
- अवधिज्ञान का एक भेद । - देखें अवधिज्ञान - 1 ।
पुराणकोष से
(1) सौधर्मेंद्र द्वारा स्तुत वृषभदेव का एक नाम । महापुराण 25.145
(2) रुचकवर पर्वत की उत्तर दिशा का एक कूट । यहाँ अंजन गिरि का दिग्गजेंद्र देव रहता है । हरिवंशपुराण - 5.703, देखें रुचकवर
(3) नृत्य का एक भेद । महापुराण 14.133
(4) कीर्ति तथा गुणों से वर्द्धमान होने के कारण इंद्र द्वारा प्रदत्त तीर्थंकर महावीर का एक नाम । वीरवर्द्धमान चरित्र 1. 4, देखें महावीर