छेद प्रायश्चित्त: Difference between revisions
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<li | <li class="HindiText"><strong name="2" id="2">छेद प्रायश्चित्त के अतिचार</strong> | ||
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<li class="HindiText"><strong | <li class="HindiText"><strong name="3" id="3">छेद प्रायश्चित्त किसको किस अपराध में दिया जाता है–</strong>देखें [[ प्रायश्चित्त#4 | प्रायश्चित्त - 4]]। </li> | ||
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Latest revision as of 15:10, 27 November 2023
- छेद प्रायश्चित्त का लक्षण
सर्वार्थसिद्धि/9/22/440/9 दिवसपक्षमासादिना प्रवर्ज्याहापनं छेद:। =दिवस, पक्ष, महीना आदि की प्रव्रज्या का छेद करना छेदप्रायश्चित्त है। ( राजवार्तिक/9/22/8/621/30 ); ( भगवती आराधना / विजयोदया टीका/6/32/21 ), ( तत्त्वसार/7/26 ), ( चारित्रसार/143/1 )।
धवला 13/5,4,26/61/8 दिवस-पक्ख–मास-उदु-अयण-संवरच्छरादिपरियायं छेत्तूण इच्छितपरियायादो हेट्ठिमभूमीए ठवणं छेदो णमा पायछित्तं। =एक दिन, एक पक्ष, एक मास, एक ऋतु,, एक अयन और एक वर्ष आदि तक की दीक्षा पर्याय का छेद कर इच्छित पर्याय से नीचे की भूमिका में स्थापित करना छेद नाम का प्रायश्चित्त है। - छेद प्रायश्चित्त के अतिचार
भगवती आराधना / विजयोदया टीका/487/707/24 एवं छेदस्यातिचार: न्यूनो जातोऽहमिति संक्लेश;। = ‘मैं न्यून हो गया हूँ’ ऐसा मन में संक्लेश करना छेद प्रायश्चित्त है। - छेद प्रायश्चित्त किसको किस अपराध में दिया जाता है–देखें प्रायश्चित्त - 4।