स्थापनासत्य: Difference between revisions
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<div class="HindiText"> <p> सत्य के दस भेदों में एक भेद वास्तविकता न होने पर भी आकार की समानता अथवा व्यवहार के लिए की गयी स्थापना से वस्तु को उस रूप मानना/कहना स्थापना सत्य है । जैसे सतरंज की गोटों में आकार न होने पर भी उन्हें बादशाह वजीर आदि मानना, तथा खिलौनों में आकार की समानता देखकर उन्हें हाथी आदि कहना स्थापना सत्य हैं । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 10. 100 </span></p> | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> सत्य के दस भेदों में एक भेद वास्तविकता न होने पर भी आकार की समानता अथवा व्यवहार के लिए की गयी स्थापना से वस्तु को उस रूप मानना/कहना स्थापना सत्य है । जैसे सतरंज की गोटों में आकार न होने पर भी उन्हें बादशाह वजीर आदि मानना, तथा खिलौनों में आकार की समानता देखकर उन्हें हाथी आदि कहना स्थापना सत्य हैं । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_10#100|हरिवंशपुराण - 10.100]] </span></p> | ||
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Latest revision as of 15:30, 27 November 2023
सत्य के दस भेदों में एक भेद वास्तविकता न होने पर भी आकार की समानता अथवा व्यवहार के लिए की गयी स्थापना से वस्तु को उस रूप मानना/कहना स्थापना सत्य है । जैसे सतरंज की गोटों में आकार न होने पर भी उन्हें बादशाह वजीर आदि मानना, तथा खिलौनों में आकार की समानता देखकर उन्हें हाथी आदि कहना स्थापना सत्य हैं । हरिवंशपुराण - 10.100