तृषापरीषह: Difference between revisions
From जैनकोष
No edit summary |
(Imported from text file) |
||
(3 intermediate revisions by 2 users not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
| | ||
== सिद्धांतकोष से == | |||
देखें [[ पिपासा ]]। | |||
[[तृतीय भक्त | | <noinclude> | ||
[[ तृतीय भक्त | पूर्व पृष्ठ ]] | |||
[[Category:त]] | [[ तृष्णा | अगला पृष्ठ ]] | ||
</noinclude> | |||
[[Category: त]] | |||
== पुराणकोष से == | |||
<div class="HindiText"> <p class="HindiText"> तृषा जनित वेदना को सहना । <span class="GRef"> महापुराण 36.116 </span>इसमें पानी पाने की तीन अभिलाषा होने पर तथा जलाशय आदि साधनों की उपलब्धि होने पर भी नियम आदि के निर्वाह हेतु जल का ग्रहण नहीं किया जाता, तृषा से उत्पन्न वेदना को विशुद्ध परिणामों से आमरण सहन किया जाता है । <span class="GRef"> महापुराण 76.366-369 </span></p> | |||
</div> | |||
<noinclude> | |||
[[ तृतीय भक्त | पूर्व पृष्ठ ]] | |||
[[ तृष्णा | अगला पृष्ठ ]] | |||
</noinclude> | |||
[[Category: पुराण-कोष]] | |||
[[Category: त]] | |||
[[Category: चरणानुयोग]] |
Latest revision as of 15:10, 27 November 2023
सिद्धांतकोष से
देखें पिपासा ।
पुराणकोष से
तृषा जनित वेदना को सहना । महापुराण 36.116 इसमें पानी पाने की तीन अभिलाषा होने पर तथा जलाशय आदि साधनों की उपलब्धि होने पर भी नियम आदि के निर्वाह हेतु जल का ग्रहण नहीं किया जाता, तृषा से उत्पन्न वेदना को विशुद्ध परिणामों से आमरण सहन किया जाता है । महापुराण 76.366-369