दर्शनविशुद्धि व्रत: Difference between revisions
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<p class="HindiText">औपशमिकादि (उपशम, क्षयोपशम व क्षायिक) तीनों | <p class="HindiText">औपशमिकादि (उपशम, क्षयोपशम व क्षायिक) तीनों सम्यक्त्वों के आठ अंगों की अपेक्षा 24 अंग होते हैं। एक उपवास एक पारणा क्रम से 24 उपवास पूरे करे। जाप–नमोकार मंत्र का त्रिकाल जाप, <span class="GRef">( हरिवंशपुराण/34/99)। (व्रत विधान संग्रह/107) (सुदृष्टितरंगिणी/ )</span></p> | ||
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Latest revision as of 22:21, 17 November 2023
औपशमिकादि (उपशम, क्षयोपशम व क्षायिक) तीनों सम्यक्त्वों के आठ अंगों की अपेक्षा 24 अंग होते हैं। एक उपवास एक पारणा क्रम से 24 उपवास पूरे करे। जाप–नमोकार मंत्र का त्रिकाल जाप, ( हरिवंशपुराण/34/99)। (व्रत विधान संग्रह/107) (सुदृष्टितरंगिणी/ )