इंद्रध्वज: Difference between revisions
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<div class="HindiText"> <p id="1">(1) समवसरण की एक ध्वजा । समवसरण की भूमि के जयांगुण के मध्य में सुवर्णमय पीठ पर इसी ध्वजा को फहराया जाता है । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 57.83 -85 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1" class="HindiText">(1) समवसरण की एक ध्वजा । समवसरण की भूमि के जयांगुण के मध्य में सुवर्णमय पीठ पर इसी ध्वजा को फहराया जाता है । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_57#83|हरिवंशपुराण - 57.83]] -85 </span></p> | ||
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<p id="3">(3) भरत के साथ दीक्षित एक राजा । इसने भी भरत के साथ मुक्ति प्राप्त की थी । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_38#1|पद्मपुराण - 38.1-5]] </span></p> | <p id="3" class="HindiText">(3) भरत के साथ दीक्षित एक राजा । इसने भी भरत के साथ मुक्ति प्राप्त की थी । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_38#1|पद्मपुराण - 38.1-5]] </span></p> | ||
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Latest revision as of 14:40, 27 November 2023
सिद्धांतकोष से
पूजाओं का एक भेद - देखें पूजा - 1।
पुराणकोष से
(1) समवसरण की एक ध्वजा । समवसरण की भूमि के जयांगुण के मध्य में सुवर्णमय पीठ पर इसी ध्वजा को फहराया जाता है । हरिवंशपुराण - 57.83 -85
(2) इंद्र द्वारा की जाने वाली जितेंद्र की एक पूजा । महापुराण 38.32
(3) भरत के साथ दीक्षित एक राजा । इसने भी भरत के साथ मुक्ति प्राप्त की थी । पद्मपुराण - 38.1-5