उपपादशय्या: Difference between revisions
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<div class="HindiText"> <p> देवों की उत्पादशय्या देव इन पर जन्म लेकर अंतर्मुहूर्त में नवयौवन से पूर्ण तथा अपने संपूर्ण लक्षणों से संपन्न हो जाते हैं । उपपाद शिला भी यही है । <span class="GRef"> महापुराण 5.254-256 </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_64#70|पद्मपुराण - 64.70]] </span><span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 4.60 </span></p> | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> देवों की उत्पादशय्या देव इन पर जन्म लेकर अंतर्मुहूर्त में नवयौवन से पूर्ण तथा अपने संपूर्ण लक्षणों से संपन्न हो जाते हैं । उपपाद शिला भी यही है । <span class="GRef"> महापुराण 5.254-256 </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_64#70|पद्मपुराण - 64.70]] </span><span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 4.60 </span></p> | ||
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Latest revision as of 14:40, 27 November 2023
देवों की उत्पादशय्या देव इन पर जन्म लेकर अंतर्मुहूर्त में नवयौवन से पूर्ण तथा अपने संपूर्ण लक्षणों से संपन्न हो जाते हैं । उपपाद शिला भी यही है । महापुराण 5.254-256 पद्मपुराण - 64.70 वीरवर्द्धमान चरित्र 4.60