द्रव्य श्रुतज्ञान: Difference between revisions
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<span class="GRef">गोम्मटसार जीवकांड / जीवतत्त्व प्रदीपिका/348-349/744/15</span><span class="SanskritText"> | |||
अंगबाह्यसामायिकादिचतुर्दशप्रकीर्णकभेदद्रव्यभावात्मकश्रुतं पुद्गलद्रव्यरूपं वर्णपदवाक्यात्मकं द्रव्यश्रुतं, तच्छ्रवणसमुत्पन्नश्रुतज्ञानपर्यायरूपं भावश्रुतं।</span><span class="HindiText">=आचारांग आदि बारह अंग, उत्पादपूर्व आदि चौदह पूर्व और चकार से सामायिकादि 14 प्रकीर्णक स्वरूप '''द्रव्यश्रुत''' जानना, और इनके सुनने से उत्पन्न हुआ जो ज्ञान सो भावश्रुत जानना। पुद्गल द्रव्य स्वरूप अक्षर पदादिक रूप से '''द्रव्यश्रुत''' है, और उनके सुनने से श्रुतज्ञान की पर्याय रूप जो उत्पन्न हुआ ज्ञान सो भावश्रुत है।</span> | |||
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Latest revision as of 09:05, 14 August 2023
गोम्मटसार जीवकांड / जीवतत्त्व प्रदीपिका/348-349/744/15 अंगबाह्यसामायिकादिचतुर्दशप्रकीर्णकभेदद्रव्यभावात्मकश्रुतं पुद्गलद्रव्यरूपं वर्णपदवाक्यात्मकं द्रव्यश्रुतं, तच्छ्रवणसमुत्पन्नश्रुतज्ञानपर्यायरूपं भावश्रुतं।=आचारांग आदि बारह अंग, उत्पादपूर्व आदि चौदह पूर्व और चकार से सामायिकादि 14 प्रकीर्णक स्वरूप द्रव्यश्रुत जानना, और इनके सुनने से उत्पन्न हुआ जो ज्ञान सो भावश्रुत जानना। पुद्गल द्रव्य स्वरूप अक्षर पदादिक रूप से द्रव्यश्रुत है, और उनके सुनने से श्रुतज्ञान की पर्याय रूप जो उत्पन्न हुआ ज्ञान सो भावश्रुत है।
अधिक जानकारी के लिये देखें श्रुतज्ञान - III।