माहन: Difference between revisions
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<div class="HindiText"> <p> वृषभदेव द्वारा दिया गया ब्राह्मणों का एक नाम । इनके विषय में भगवान वृषभदेव के समवसरण में मतिसमुद्र द्वारा श्रुत वचन को ज्ञातकर चक्रवर्ती भरतेश इन्हें मारने को उद्यत हुए ही थे कि वे भयभीत हो वृषभदेव की शरण में गये । वृषभदेव ने ‘‘मा-हन’’ अर्थात् इनका हनन मत करो कहकर इनकी रक्षा की थी । तब से ब्राह्मण ‘‘माहन’’ कहलाने लगे । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_4#121|पद्मपुराण - 4.121-122]] </span></p> | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> वृषभदेव द्वारा दिया गया ब्राह्मणों का एक नाम । इनके विषय में भगवान वृषभदेव के समवसरण में मतिसमुद्र द्वारा श्रुत वचन को ज्ञातकर चक्रवर्ती भरतेश इन्हें मारने को उद्यत हुए ही थे कि वे भयभीत हो वृषभदेव की शरण में गये । वृषभदेव ने ‘‘मा-हन’’ अर्थात् इनका हनन मत करो कहकर इनकी रक्षा की थी । तब से ब्राह्मण ‘‘माहन’’ कहलाने लगे । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_4#121|पद्मपुराण - 4.121-122]] </span></p> | ||
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Latest revision as of 15:20, 27 November 2023
वृषभदेव द्वारा दिया गया ब्राह्मणों का एक नाम । इनके विषय में भगवान वृषभदेव के समवसरण में मतिसमुद्र द्वारा श्रुत वचन को ज्ञातकर चक्रवर्ती भरतेश इन्हें मारने को उद्यत हुए ही थे कि वे भयभीत हो वृषभदेव की शरण में गये । वृषभदेव ने ‘‘मा-हन’’ अर्थात् इनका हनन मत करो कहकर इनकी रक्षा की थी । तब से ब्राह्मण ‘‘माहन’’ कहलाने लगे । पद्मपुराण - 4.121-122