विमला: Difference between revisions
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<div class="HindiText"> <p id="1">(1) विजयार्ध पर्वत की दक्षिणश्रेणी में किन्नरोद्गीत नगर के राजा अर्चिमाली की पुत्रवधू और ज्वलनवेग विद्याधर की रानी । इसके पुत्र का नाम अंगारक था । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 19.80-83 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1" class="HindiText">(1) विजयार्ध पर्वत की दक्षिणश्रेणी में किन्नरोद्गीत नगर के राजा अर्चिमाली की पुत्रवधू और ज्वलनवेग विद्याधर की रानी । इसके पुत्र का नाम अंगारक था । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_19#80|हरिवंशपुराण - 19.80-83]] </span></p> | ||
<p id="2">(2) उज्जयिनी के सेठ विमलचंद्र की स्त्री । इसकी पुत्री मंगी राजा वृषभध्वज के योद्धा दृढ़मुष्टि के पुत्र वज्रमुष्टि से विवाही गयी थी । <span class="GRef"> महापुराण 71. 209-211, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 33.103-104 </span></p> | <p id="2" class="HindiText">(2) उज्जयिनी के सेठ विमलचंद्र की स्त्री । इसकी पुत्री मंगी राजा वृषभध्वज के योद्धा दृढ़मुष्टि के पुत्र वज्रमुष्टि से विवाही गयी थी । <span class="GRef"> महापुराण 71. 209-211, </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_33#103|हरिवंशपुराण - 33.103-104]] </span></p> | ||
<p id="3">(3) तीर्थंकर चंद्रप्रभ को दीक्षा-शिविका । <span class="GRef"> महापुराण 54.215-216 </span></p> | <p id="3" class="HindiText">(3) तीर्थंकर चंद्रप्रभ को दीक्षा-शिविका । <span class="GRef"> महापुराण 54.215-216 </span></p> | ||
<p id="4">(4) विजयार्ध पर्वत की दक्षिणश्रेणी में शिवमंदिर नगर के राजा मेघवाहन की रानी । इसकी पुत्री कनकमाला थी । <span class="GRef"> महापुराण 63.116-117 </span></p> | <p id="4" class="HindiText">(4) विजयार्ध पर्वत की दक्षिणश्रेणी में शिवमंदिर नगर के राजा मेघवाहन की रानी । इसकी पुत्री कनकमाला थी । <span class="GRef"> महापुराण 63.116-117 </span></p> | ||
<p id="5">(5) सौधर्म स्वर्ग के इंद्र की इंद्राणी । यह स्वर्ग से चयकर साकेत नगर के राजा श्रीषेण की पुत्री हरिषेणा हुई थी । <span class="GRef"> महापुराण 72.251 </span></p> | <p id="5" class="HindiText">(5) सौधर्म स्वर्ग के इंद्र की इंद्राणी । यह स्वर्ग से चयकर साकेत नगर के राजा श्रीषेण की पुत्री हरिषेणा हुई थी । <span class="GRef"> महापुराण 72.251 </span></p> | ||
<p id="6">(6) तीर्थंकर पार्श्वनाथ की दीक्षा-शिविका । पार्श्वनाथ इसी में बैठकर अश्ववन गये थे । <span class="GRef"> महापुराण 73. 127-128 </span></p> | <p id="6" class="HindiText">(6) तीर्थंकर पार्श्वनाथ की दीक्षा-शिविका । पार्श्वनाथ इसी में बैठकर अश्ववन गये थे । <span class="GRef"> महापुराण 73. 127-128 </span></p> | ||
<p id="7">(7) राजपुर नगर के सेठ सागरदत्त और सेठानी कमला की पुत्री । निमित्तज्ञानी के कहे अनुसार इसका विवाह जीवरंधरकुमार के साथ हुआ था । जीवंधर के दीक्षा ले लेने पर इसने भी चंदना-आर्यिका से संयम धारण कर लिया था । <span class="GRef"> महापुराण 75.584-587, 679-684 </span></p> | <p id="7" class="HindiText">(7) राजपुर नगर के सेठ सागरदत्त और सेठानी कमला की पुत्री । निमित्तज्ञानी के कहे अनुसार इसका विवाह जीवरंधरकुमार के साथ हुआ था । जीवंधर के दीक्षा ले लेने पर इसने भी चंदना-आर्यिका से संयम धारण कर लिया था । <span class="GRef"> महापुराण 75.584-587, 679-684 </span></p> | ||
<p id="8">(8) राजपुर नगर के ही सेठ कुमारदत्त की स्त्री । यह गुणमाला की जननी थी । <span class="GRef"> महापुराण 75.351 </span>देखें [[ गुणमाला ]]</p> | <p id="8" class="HindiText">(8) राजपुर नगर के ही सेठ कुमारदत्त की स्त्री । यह गुणमाला की जननी थी । <span class="GRef"> महापुराण 75.351 </span>देखें [[ गुणमाला ]]</p> | ||
<p id="9">(9) नभस्तिलक नगर के राजा चंद्रकुंडल की रानी । यह मार्तंडकुंडल की जननी थी । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_6#384|पद्मपुराण - 6.384-385]] </span></p> | <p id="9" class="HindiText">(9) नभस्तिलक नगर के राजा चंद्रकुंडल की रानी । यह मार्तंडकुंडल की जननी थी । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_6#384|पद्मपुराण - 6.384-385]] </span></p> | ||
<p id="10">(10) सिद्धार्थनगर के राजा क्षेमंकर की महारानी । देशभूषण और कुलभूषण इसके पुत्र थे । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_39#158|पद्मपुराण - 39.158-159]] </span></p> | <p id="10">(10) सिद्धार्थनगर के राजा क्षेमंकर की महारानी । देशभूषण और कुलभूषण इसके पुत्र थे । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_39#158|पद्मपुराण - 39.158-159]] </span></p> | ||
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Latest revision as of 15:21, 27 November 2023
(1) विजयार्ध पर्वत की दक्षिणश्रेणी में किन्नरोद्गीत नगर के राजा अर्चिमाली की पुत्रवधू और ज्वलनवेग विद्याधर की रानी । इसके पुत्र का नाम अंगारक था । हरिवंशपुराण - 19.80-83
(2) उज्जयिनी के सेठ विमलचंद्र की स्त्री । इसकी पुत्री मंगी राजा वृषभध्वज के योद्धा दृढ़मुष्टि के पुत्र वज्रमुष्टि से विवाही गयी थी । महापुराण 71. 209-211, हरिवंशपुराण - 33.103-104
(3) तीर्थंकर चंद्रप्रभ को दीक्षा-शिविका । महापुराण 54.215-216
(4) विजयार्ध पर्वत की दक्षिणश्रेणी में शिवमंदिर नगर के राजा मेघवाहन की रानी । इसकी पुत्री कनकमाला थी । महापुराण 63.116-117
(5) सौधर्म स्वर्ग के इंद्र की इंद्राणी । यह स्वर्ग से चयकर साकेत नगर के राजा श्रीषेण की पुत्री हरिषेणा हुई थी । महापुराण 72.251
(6) तीर्थंकर पार्श्वनाथ की दीक्षा-शिविका । पार्श्वनाथ इसी में बैठकर अश्ववन गये थे । महापुराण 73. 127-128
(7) राजपुर नगर के सेठ सागरदत्त और सेठानी कमला की पुत्री । निमित्तज्ञानी के कहे अनुसार इसका विवाह जीवरंधरकुमार के साथ हुआ था । जीवंधर के दीक्षा ले लेने पर इसने भी चंदना-आर्यिका से संयम धारण कर लिया था । महापुराण 75.584-587, 679-684
(8) राजपुर नगर के ही सेठ कुमारदत्त की स्त्री । यह गुणमाला की जननी थी । महापुराण 75.351 देखें गुणमाला
(9) नभस्तिलक नगर के राजा चंद्रकुंडल की रानी । यह मार्तंडकुंडल की जननी थी । पद्मपुराण - 6.384-385
(10) सिद्धार्थनगर के राजा क्षेमंकर की महारानी । देशभूषण और कुलभूषण इसके पुत्र थे । पद्मपुराण - 39.158-159