नयचक्र: Difference between revisions
From जैनकोष
No edit summary |
(Imported from text file) |
||
(7 intermediate revisions by 3 users not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
<p class="HindiText">नयचक्र नाम के कई | | ||
== सिद्धांतकोष से == | |||
<p class="HindiText">नयचक्र नाम के कई ग्रंथों का उल्लेख मिलता है। सभी नय व प्रमाण के विषय का निरूपण करते हैं। </p> | |||
<ol> | <ol> | ||
<li class="HindiText">प्रथम नयचक्र आ. | <li class="HindiText">प्रथम नयचक्र आ.मल्लवादी नं.1 (ई.357) द्वारा संस्कृत छंदों में रचा गया था, जो श्लोक वार्तिक की रचना करते समय आ.विद्यानंदि को प्राप्त था। पर अब वह उपलब्ध नहीं है। </li> | ||
<li class="HindiText"> द्वितीय नयचक्र आ.देवसेन (ई. | <li class="HindiText"> द्वितीय नयचक्र आ.देवसेन (ई.933-955) द्वारा प्राकृत गाथाओं में रचा गया है। इसमें कुल 423 गाथाएँ हैं। </li> | ||
<li class="HindiText"> तृतीय नयचक्र पर पं. | <li class="HindiText"> तृतीय नयचक्र पर पं.हेमचंद जी ने (ई.1667) एक भाषा वचनिका लिखी है। (ती./2/330, 366) </li> | ||
</ol> | </ol> | ||
[[नयकीर्ति | | <noinclude> | ||
[[ नयकीर्ति | पूर्व पृष्ठ ]] | |||
[[Category:न]] | [[ नयदत्त | अगला पृष्ठ ]] | ||
</noinclude> | |||
[[Category: न]] | |||
== पुराणकोष से == | |||
<div class="HindiText"> <p class="HindiText"> नीति से युक्त सुदर्शन चक्र-रत्न । <span class="GRef"> महापुराण 24.186 </span></p> | |||
</div> | |||
<noinclude> | |||
[[ नयकीर्ति | पूर्व पृष्ठ ]] | |||
[[ नयदत्त | अगला पृष्ठ ]] | |||
</noinclude> | |||
[[Category: पुराण-कोष]] | |||
[[Category: न]] | |||
[[Category: प्रथमानुयोग]] | |||
[[Category: द्रव्यानुयोग]] | |||
[[Category: इतिहास]] |
Latest revision as of 15:11, 27 November 2023
सिद्धांतकोष से
नयचक्र नाम के कई ग्रंथों का उल्लेख मिलता है। सभी नय व प्रमाण के विषय का निरूपण करते हैं।
- प्रथम नयचक्र आ.मल्लवादी नं.1 (ई.357) द्वारा संस्कृत छंदों में रचा गया था, जो श्लोक वार्तिक की रचना करते समय आ.विद्यानंदि को प्राप्त था। पर अब वह उपलब्ध नहीं है।
- द्वितीय नयचक्र आ.देवसेन (ई.933-955) द्वारा प्राकृत गाथाओं में रचा गया है। इसमें कुल 423 गाथाएँ हैं।
- तृतीय नयचक्र पर पं.हेमचंद जी ने (ई.1667) एक भाषा वचनिका लिखी है। (ती./2/330, 366)
पुराणकोष से
नीति से युक्त सुदर्शन चक्र-रत्न । महापुराण 24.186