श्रीधर: Difference between revisions
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गणित तथा ज्योतिष विद्या के विद्वान् दिगंबराचार्य। कृति - गणितसार संग्रह, ज्योतिर्ज्ञानविधि, जातक तिलक, लीलावती (कन्नड़)। समय - रचनाकाल ई.799-865। ( | गणित तथा ज्योतिष विद्या के विद्वान् दिगंबराचार्य। कृति - गणितसार संग्रह, ज्योतिर्ज्ञानविधि, जातक तिलक, लीलावती (कन्नड़)। समय - रचनाकाल ई.799-865। (<span class="GRef">तीर्थंकर महावीर और उनकी आचार्य परंपरा/3/191</span>)</li> | ||
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'सुकुमाल चरिउ' के कर्ता अपभ्रंश कवि। समय - ग्रंथ रचनाकाल ई.1151। ( | 'सुकुमाल चरिउ' के कर्ता अपभ्रंश कवि। समय - ग्रंथ रचनाकाल ई.1151। (<span class="GRef">तीर्थंकर महावीर और उनकी आचार्य परंपरा/3/188</span>)।</li> | ||
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पासणाह चरिउ तथा वड्ढमाण चरिउ के रचयिता एक भाग्य व पुरुषार्थ उभयवादी। हरियाणावासी बुध गोल्ह के पुत्र। समय - ग्रंथ रचनाकाल वि.1189। ( | पासणाह चरिउ तथा वड्ढमाण चरिउ के रचयिता एक भाग्य व पुरुषार्थ उभयवादी। हरियाणावासी बुध गोल्ह के पुत्र। समय - ग्रंथ रचनाकाल वि.1189। (<span class="GRef">तीर्थंकर महावीर और उनकी आचार्य परंपरा/4/134</span>)।</li> | ||
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‘भविसयंत चरिउ’ के रचयिता अपभ्रंश कवि दिगंबर मुनि। माथुरवंशीय नारायण के पुत्र। समय - ग्रंथ रचनाकाल वि.1200। ( | ‘भविसयंत चरिउ’ के रचयिता अपभ्रंश कवि दिगंबर मुनि। माथुरवंशीय नारायण के पुत्र। समय - ग्रंथ रचनाकाल वि.1200। (<span class="GRef">तीर्थंकर महावीर और उनकी आचार्य परंपरा/4/145</span>)।</li> | ||
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‘सुकुमाल चरिउ’ के रचयिता एक अपभ्रंश कवि गृहस्थ। साहू पाथी के पुत्र। समय - ग्रंथ रचनाकाल वि.1208। ( | ‘सुकुमाल चरिउ’ के रचयिता एक अपभ्रंश कवि गृहस्थ। साहू पाथी के पुत्र। समय - ग्रंथ रचनाकाल वि.1208। (<span class="GRef">तीर्थंकर महावीर और उनकी आचार्य परंपरा/4/149</span>)।</li> | ||
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सेनसंघी मुनिसेन के शिष्य, काव्य शास्त्रज्ञ। कृति - विश्वलोचन कोश। ( | सेनसंघी मुनिसेन के शिष्य, काव्य शास्त्रज्ञ। कृति - विश्वलोचन कोश। (<span class="GRef">तीर्थंकर महावीर और उनकी आचार्य परंपरा/3/188</span>)।</li> | ||
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भविष्यदत्त चरित्र तथा श्रुतावतार के रचयिता। समय - ई.श.14। ( | भविष्यदत्त चरित्र तथा श्रुतावतार के रचयिता। समय - ई.श.14। (<span class="GRef">तीर्थंकर महावीर और उनकी आचार्य परंपरा/3/187</span>)।</li> | ||
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<div class="HindiText"> <p id="1"> (1) विजयार्ध पर्वत की दक्षिणश्रेणी का दसवां नगर । <span class="GRef"> महापुराण 19. 40, 53 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1" class="HindiText"> (1) विजयार्ध पर्वत की दक्षिणश्रेणी का दसवां नगर । <span class="GRef"> महापुराण 19. 40, 53 </span></p> | ||
<p id="2">(2) भरतक्षेत्र संबंधी जयंत नगर का राजा । श्रीमती इसकी रानी तथा विमलश्री पुत्री थी । <span class="GRef"> महापुराण 71. 452-453, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 60. 117 </span></p> | <p id="2" class="HindiText">(2) भरतक्षेत्र संबंधी जयंत नगर का राजा । श्रीमती इसकी रानी तथा विमलश्री पुत्री थी । <span class="GRef"> महापुराण 71. 452-453, </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_60#117|हरिवंशपुराण - 60.117]] </span></p> | ||
<p id="3">(3) एक मुनि । ये मगध देश में राजगृह नगर के राणा विश्वभूति के दीक्षागुरु थे । <span class="GRef"> महापुराण 74.86, 91, </span><span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 3. 15-17 </span></p> | <p id="3" class="HindiText">(3) एक मुनि । ये मगध देश में राजगृह नगर के राणा विश्वभूति के दीक्षागुरु थे । <span class="GRef"> महापुराण 74.86, 91, </span><span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 3. 15-17 </span></p> | ||
<p id="4">(4) राजा सोमप्रभ के पुत्र जयकुमार का पक्षधर एक राजा । <span class="GRef"> महापुराण 44.106-107, </span><span class="GRef"> पांडवपुराण 3. 56, 94-95 </span></p> | <p id="4" class="HindiText">(4) राजा सोमप्रभ के पुत्र जयकुमार का पक्षधर एक राजा । <span class="GRef"> महापुराण 44.106-107, </span><span class="GRef"> पांडवपुराण 3. 56, 94-95 </span></p> | ||
<p id="5">(5) तीर्थंकर ऋषभदेव के पूर्व भव का जीव-ऐशान स्वर्ग के श्रीप्रभ विमान का ऋद्धि धारी देव । <span class="GRef"> महापुराण 9. 182, 185, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 9. 59, 27. 68 </span></p> | <p id="5" class="HindiText">(5) तीर्थंकर ऋषभदेव के पूर्व भव का जीव-ऐशान स्वर्ग के श्रीप्रभ विमान का ऋद्धि धारी देव । <span class="GRef"> महापुराण 9. 182, 185, </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_9#59|हरिवंशपुराण - 9.59]], 27. 68 </span></p> | ||
<p id="6">(6) श्रीधर और धर्म दो चारण मुनियों में प्रथम मुनि । इन्होंने गंधमादन पर्वत पर पर्व तक भील को व्रत धारण कराया था । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 60. 10, 16-18 </span></p> | <p id="6" class="HindiText">(6) श्रीधर और धर्म दो चारण मुनियों में प्रथम मुनि । इन्होंने गंधमादन पर्वत पर पर्व तक भील को व्रत धारण कराया था । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_60#10|हरिवंशपुराण - 60.10]], 16-18 </span></p> | ||
<p id="7">(7) कृष्ण की पटरानी सत्यभामा के पूर्वभव के जीव हरिवाहन विद्याधर के पिता, अलका नगरी के राजा महाबल के दीक्षा गुरु एक चारण मुनि । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 60. 17-19 </span></p> | <p id="7" class="HindiText">(7) कृष्ण की पटरानी सत्यभामा के पूर्वभव के जीव हरिवाहन विद्याधर के पिता, अलका नगरी के राजा महाबल के दीक्षा गुरु एक चारण मुनि । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_60#17|हरिवंशपुराण - 60.17-19]] </span></p> | ||
<p id="8">(8) एक मुनि । गांधारी नगरी के राजा रुद्रदत्त की रानी विनयश्री इन्हें आहार देकर उत्तर कुरुक्षेत्र में आर्या हुई थी । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 60.86-88 </span></p> | <p id="8" class="HindiText">(8) एक मुनि । गांधारी नगरी के राजा रुद्रदत्त की रानी विनयश्री इन्हें आहार देकर उत्तर कुरुक्षेत्र में आर्या हुई थी । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_60#86|हरिवंशपुराण - 60.86-88]] </span></p> | ||
<p id="9">(9) पुष्करद्वीप में मंगलावती देश के रत्नसंचय नगर का राजा । इसकी दो रानियाँ थीं― मनोहरा और मनोरमा । इन रानियों से क्रमश: इसके दो पुत्र हुए थे― बलभद्र श्रीवर्मा और नारायण विभीषण । इन्होंने श्रीवर्मा को राज्य देकर सुधर्माचार्य से दीक्षा ले ली थी तथा सिद्ध पद पाया था । <span class="GRef"> महापुराण 7. 14-16 </span></p> | <p id="9" class="HindiText">(9) पुष्करद्वीप में मंगलावती देश के रत्नसंचय नगर का राजा । इसकी दो रानियाँ थीं― मनोहरा और मनोरमा । इन रानियों से क्रमश: इसके दो पुत्र हुए थे― बलभद्र श्रीवर्मा और नारायण विभीषण । इन्होंने श्रीवर्मा को राज्य देकर सुधर्माचार्य से दीक्षा ले ली थी तथा सिद्ध पद पाया था । <span class="GRef"> महापुराण 7. 14-16 </span></p> | ||
<p id="10">(10) सुरम्य देश के श्रीपुर नगर का राजा । श्रीमती इसकी रानी और जयवती पुत्री थी । <span class="GRef"> महापुराण 47.14 </span></p> | <p id="10">(10) सुरम्य देश के श्रीपुर नगर का राजा । श्रीमती इसकी रानी और जयवती पुत्री थी । <span class="GRef"> महापुराण 47.14 </span></p> | ||
<p id="11">(11) प्रथम स्वर्ग के श्रीप्रभ विमान का देव । यह पुष्करद्वीप के सुगंधि देश में श्रीपुर नगर के राजा श्रीषेण के पुत्र श्रीवर्मा का जीव था । <span class="GRef"> महापुराण 54.8-10, 25, 36, 68, 82 </span></p> | <p id="11">(11) प्रथम स्वर्ग के श्रीप्रभ विमान का देव । यह पुष्करद्वीप के सुगंधि देश में श्रीपुर नगर के राजा श्रीषेण के पुत्र श्रीवर्मा का जीव था । <span class="GRef"> महापुराण 54.8-10, 25, 36, 68, 82 </span></p> |
Latest revision as of 15:07, 2 March 2024
सिद्धांतकोष से
- गणित तथा ज्योतिष विद्या के विद्वान् दिगंबराचार्य। कृति - गणितसार संग्रह, ज्योतिर्ज्ञानविधि, जातक तिलक, लीलावती (कन्नड़)। समय - रचनाकाल ई.799-865। (तीर्थंकर महावीर और उनकी आचार्य परंपरा/3/191)
- 'सुकुमाल चरिउ' के कर्ता अपभ्रंश कवि। समय - ग्रंथ रचनाकाल ई.1151। (तीर्थंकर महावीर और उनकी आचार्य परंपरा/3/188)।
- पासणाह चरिउ तथा वड्ढमाण चरिउ के रचयिता एक भाग्य व पुरुषार्थ उभयवादी। हरियाणावासी बुध गोल्ह के पुत्र। समय - ग्रंथ रचनाकाल वि.1189। (तीर्थंकर महावीर और उनकी आचार्य परंपरा/4/134)।
- ‘भविसयंत चरिउ’ के रचयिता अपभ्रंश कवि दिगंबर मुनि। माथुरवंशीय नारायण के पुत्र। समय - ग्रंथ रचनाकाल वि.1200। (तीर्थंकर महावीर और उनकी आचार्य परंपरा/4/145)।
- ‘सुकुमाल चरिउ’ के रचयिता एक अपभ्रंश कवि गृहस्थ। साहू पाथी के पुत्र। समय - ग्रंथ रचनाकाल वि.1208। (तीर्थंकर महावीर और उनकी आचार्य परंपरा/4/149)।
- सेनसंघी मुनिसेन के शिष्य, काव्य शास्त्रज्ञ। कृति - विश्वलोचन कोश। (तीर्थंकर महावीर और उनकी आचार्य परंपरा/3/188)।
- भविष्यदत्त चरित्र तथा श्रुतावतार के रचयिता। समय - ई.श.14। (तीर्थंकर महावीर और उनकी आचार्य परंपरा/3/187)।
पुराणकोष से
(1) विजयार्ध पर्वत की दक्षिणश्रेणी का दसवां नगर । महापुराण 19. 40, 53
(2) भरतक्षेत्र संबंधी जयंत नगर का राजा । श्रीमती इसकी रानी तथा विमलश्री पुत्री थी । महापुराण 71. 452-453, हरिवंशपुराण - 60.117
(3) एक मुनि । ये मगध देश में राजगृह नगर के राणा विश्वभूति के दीक्षागुरु थे । महापुराण 74.86, 91, वीरवर्द्धमान चरित्र 3. 15-17
(4) राजा सोमप्रभ के पुत्र जयकुमार का पक्षधर एक राजा । महापुराण 44.106-107, पांडवपुराण 3. 56, 94-95
(5) तीर्थंकर ऋषभदेव के पूर्व भव का जीव-ऐशान स्वर्ग के श्रीप्रभ विमान का ऋद्धि धारी देव । महापुराण 9. 182, 185, हरिवंशपुराण - 9.59, 27. 68
(6) श्रीधर और धर्म दो चारण मुनियों में प्रथम मुनि । इन्होंने गंधमादन पर्वत पर पर्व तक भील को व्रत धारण कराया था । हरिवंशपुराण - 60.10, 16-18
(7) कृष्ण की पटरानी सत्यभामा के पूर्वभव के जीव हरिवाहन विद्याधर के पिता, अलका नगरी के राजा महाबल के दीक्षा गुरु एक चारण मुनि । हरिवंशपुराण - 60.17-19
(8) एक मुनि । गांधारी नगरी के राजा रुद्रदत्त की रानी विनयश्री इन्हें आहार देकर उत्तर कुरुक्षेत्र में आर्या हुई थी । हरिवंशपुराण - 60.86-88
(9) पुष्करद्वीप में मंगलावती देश के रत्नसंचय नगर का राजा । इसकी दो रानियाँ थीं― मनोहरा और मनोरमा । इन रानियों से क्रमश: इसके दो पुत्र हुए थे― बलभद्र श्रीवर्मा और नारायण विभीषण । इन्होंने श्रीवर्मा को राज्य देकर सुधर्माचार्य से दीक्षा ले ली थी तथा सिद्ध पद पाया था । महापुराण 7. 14-16
(10) सुरम्य देश के श्रीपुर नगर का राजा । श्रीमती इसकी रानी और जयवती पुत्री थी । महापुराण 47.14
(11) प्रथम स्वर्ग के श्रीप्रभ विमान का देव । यह पुष्करद्वीप के सुगंधि देश में श्रीपुर नगर के राजा श्रीषेण के पुत्र श्रीवर्मा का जीव था । महापुराण 54.8-10, 25, 36, 68, 82
(12) एक मुनि । इनसे धर्मश्रवण कर पूर्वधातकीखंड के मंगलावती देश में रत्नसंचय नगर के राजा कनकप्रभ ने संयम धारण किया था । महापुराण 54.129-130, 143
(13) भरतक्षेत्र के भोगवर्धन नगर का राजा । यह तारक का पिता था । महापुराण 58.91
(14) सहस्रार स्वर्ग के रविप्रिय विमान का एक देव । महापुराण 59.219
(15) किन्नरगीत नगर का राजा । विद्या इनकी रानी तथा रति पुत्री था । पद्मपुराण -5. 366
(16) सीता स्वयंवर में सम्मिलित एक नृप । पद्मपुराण - 28.215
(17) लक्ष्मण और उसकी रानी विशल्या का पुत्र । पद्मपुराण - 94.27-28,पद्मपुराण - 94.30