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| <li class="HindiText"> दिगम्बराम्नाय में आपका स्थान आ.पुष्पदन्त तथा भूतबलि के समकक्ष माना गया है। आ.गुणधर से आगत ‘पेज्जदोसपाहुड़’ के ज्ञान को आचार्य परम्परा द्वारा प्राप्त करके आपने यतिवृषभाचार्य को दिया था। समय–वि.नि.६२० ६८९ (ई.९३-१६२) (विशेष दे.कोश १/परिशिष्ट/३.३)। </li>
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| <li class="HindiText"> पुन्नाटसंघ को गुर्वावली के अनुसार आप व्याघ्रहस्ति के शिष्य तथा जितदण्ड के गुरु थे। (दे.इतिहास/७/८) </li>
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