नारी: Difference between revisions
From जैनकोष
No edit summary |
(Imported from text file) |
||
(8 intermediate revisions by 3 users not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
<ol> | | ||
<li class="HindiText"> | == सिद्धांतकोष से == | ||
<li class="HindiText">आर्य | <ol> | ||
<li class="HindiText"> | <li class="HindiText"> स्त्री के अर्थ में–देखें [[ स्त्री ]]। </li> | ||
<li class="HindiText"> | <li class="HindiText">आर्य खंड भरत क्षेत्र की एक नदी–देखें [[ मनुष्य#4 | मनुष्य - 4]]।</li> | ||
<li class="HindiText">उपरोक्त | <li class="HindiText"> रम्यकक्षेत्र की एक प्रधान नदी–देखें [[ लोक#3.11 | लोक - 3.11]]। </li> | ||
<li class="HindiText"> रम्यक क्षेत्रस्थ एक कुंड जिसमें से नारी नदी निकलती है–देखें [[ लोक#3.10 | लोक - 3.10]]। </li> | |||
<li class="HindiText">उपरोक्त कुंडकी स्वामिनी देवी–देखें [[ लोक#3.10 | लोक - 3.10]]। नारीकूट―<span class="GRef"> राजवार्तिक </span>की अपेक्षा रुक्मि पर्वत का कूट है और <span class="GRef"> तिलोयपण्णत्ति </span>की अपेक्षा नील पर्वत का कूट है।–देखें [[ लोक#5.4. | लोक - 5.4. ]]</li> | |||
</ol> | </ol> | ||
<p> </p> | <p> </p> | ||
<noinclude> | |||
[[ | [[ नारिकेलवन | पूर्व पृष्ठ ]] | ||
[[Category:न]] | [[ नारीकूट | अगला पृष्ठ ]] | ||
</noinclude> | |||
[[Category: न]] | |||
== पुराणकोष से == | |||
<div class="HindiText"> <p class="HindiText">(1) चौदह महानदियों में एक महानदी । यह महापुंडरीक पर्वत से निकलती है । <span class="GRef"> महापुराण 63.196, </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_5#124|हरिवंशपुराण - 5.124]],134 </span></p> | |||
<p id="2" class="HindiText">(2) वृषभदेव के समय में कन्या और पुत्र दोनों की स्थिति समान थी । दोनों को शिक्षा-दीक्षा के समान अवसर थे । नारी को घूमने-फिरने की समान स्वतंत्रता थी । दुराचारी पुरुषो की तरह दुराचारिणी स्त्रियाँ भी समाज में निंद्य मानी जाती थी । <span class="GRef"> महापुराण 4.130-140, 6.83, 102, 169, 16.98,43.29 </span></p> | |||
</div> | |||
<noinclude> | |||
[[ नारिकेलवन | पूर्व पृष्ठ ]] | |||
[[ नारीकूट | अगला पृष्ठ ]] | |||
</noinclude> | |||
[[Category: न]] | |||
[[Category: पुराण-कोष]] | |||
[[Category: करणानुयोग]] |
Latest revision as of 15:11, 27 November 2023
सिद्धांतकोष से
- स्त्री के अर्थ में–देखें स्त्री ।
- आर्य खंड भरत क्षेत्र की एक नदी–देखें मनुष्य - 4।
- रम्यकक्षेत्र की एक प्रधान नदी–देखें लोक - 3.11।
- रम्यक क्षेत्रस्थ एक कुंड जिसमें से नारी नदी निकलती है–देखें लोक - 3.10।
- उपरोक्त कुंडकी स्वामिनी देवी–देखें लोक - 3.10। नारीकूट― राजवार्तिक की अपेक्षा रुक्मि पर्वत का कूट है और तिलोयपण्णत्ति की अपेक्षा नील पर्वत का कूट है।–देखें लोक - 5.4.
पुराणकोष से
(1) चौदह महानदियों में एक महानदी । यह महापुंडरीक पर्वत से निकलती है । महापुराण 63.196, हरिवंशपुराण - 5.124,134
(2) वृषभदेव के समय में कन्या और पुत्र दोनों की स्थिति समान थी । दोनों को शिक्षा-दीक्षा के समान अवसर थे । नारी को घूमने-फिरने की समान स्वतंत्रता थी । दुराचारी पुरुषो की तरह दुराचारिणी स्त्रियाँ भी समाज में निंद्य मानी जाती थी । महापुराण 4.130-140, 6.83, 102, 169, 16.98,43.29